कृषि बिल 2020 को लेकर किसानों में जबरदस्त आक्रोश है. जब ये बिल सितंबर में संसद में पास हुआ था, तो इसे लेकर उस समय भी भारी बवाल देखने को मिला था. इसी कड़ी में वे 26 और 27 नवंबर को दिल्ली कूच करने को लेकर सुबह से ही काफी संख्या में पंजाब- हरियाणा सीमा पर इकट्ठे होने लगे. पहले तो कैसे भी सरकार किसानों को रोकना चाही. उसके लिए सरकार ने बॉर्डर सील किए, किसानों पर टीयर गैस दागे, वॉटर कैनन का इस्तेमाल किया, लेकिन किसानों की हिम्मत इससे नहीं टूटी. वे टस से मस नहीं हुए और लगातार बैरिकेडिंग्स तोड़ते हुए आगे बढ़ते रहें.

सरकार और प्रशासन की बेरहमी का अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि कड़ाके की ठंडी में किसानों पर पानी की बौछाड़ की गई. अन्नदाता किसान को रोकने के लिए बॉर्डर वाले जगह पर सैकड़ों की संख्या में पुलिसकर्मी और अर्धसैनिक बलों के जवान तैनात किए गए. जहां दिल्ली वाले छोर पर दिल्ली पुलिस की कई टुकड़ियां, हरियाणा वाले छोर पर हरियाणा पुलिस और इनके बीच BSF, RAF(रैपिड एक्शन फोर्स) और CISF की तैनाती की गई है.

आपको बता दे कि एमएसपी यानी न्यूनतम समर्थन मूल्य खत्म होने का डर सबसे बड़ी वजह है जिसके कारण ये किसान आंदोलन खड़ा हुआ. हरयाणा के एक किसान दीपक शौकीन अपना दुख दर्द बयां करते हुए कहते है कि अगर सरकार की मंशा में कोई खोट नहीं है तो फिर सरकार को एमएसपी से कम की ख़रीद को एक दंडनीय अपराध बनाये. हमें रोकने के लिए सरकार ने प्रशासन को आदेश देकर जगह-जगह सड़के खुदवा दी, कंटीले तार व बैरिकेड लगवा दिए. पर सरकार और प्रशासन ये जान व समझ ले वे चाहे कितने भी गड्ढे खोद ले हमें दिल्ली पहुंचने से नहीं रोक सकते.

आखिरकार केन्द्र सरकार को किसानों के आगे झुकना पड़ा और शांतिपूर्ण प्रदर्शन की शर्त पर किसानों को दिल्ली में प्रवेश की इजाज़त दे दी गई. अब किसान दिल्ली आकर वहां निरंकारी मैदान में प्रदर्शन कर सकेंगे. इससे पहले किसान संगठनों की ओर से प्रधानमंत्री मोदी को एक खुला खत लिखा गया था जिसमें दिल्ली में प्रवेश करने और शांतिपूर्ण प्रदर्शन रोकने की इजाज़त देने की मांग की गयी थी. उनका साफ कहना है कि दिल्ली ने उनके जीवन को नये कृषि कानूनों के ज़रिये असुरक्षित बनाया है, उन्हें पूरा हक़ है कि दिल्ली में आकर वे विरोध प्रदर्शन करें. दिल्ली पुलिस की एक टीम किसानों के साथ ही रहेगी और उनपर नज़र बनाए रखेगी.

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