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ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल की रिपोर्ट में भारत एशिया का सबसे भ्रष्ट देश...बस यहीं दिन देखना बाकी था. बहुत तरक्की पर ले जा रहे है हमारे देश के माननीय प्रधानमंत्री जी क्योंकि मोदी है तो सब मुमकिन है. ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल की रिपोर्ट के मुताबिक, करीब 39 फीसदी भारतीय मानते हैं कि उन्‍हें अपना काम करवाने के लिए प्रशासन को घूस देना पड़ा. ऐसे में भारत घूसख़ोरी के मामले में एशिया में टॉप पर पहुंचने के साथ ही एक मिसाल कायम की है. इससे मोदी के 56 इंच का सीना और बढ़ सकता है. भला क्यों न बढ़े उनके शासन में देश में तरक्की जो इतनी हुई है! मोदी जी जब कहते है, सब चंगा सी, तो नाहक लोग उनका मजाक उड़ाते हैं. अब तो विश्व की सबसे बड़ी एंजेसी ने भी उसपर मुहर लगा दी है. और ये मुहर हवा-हवाई नहीं है पूरे एक साल के सर्वे के आधार पर लोगों से पूछताछ करने के बाद जारी किया गया है.

अजी आप समझते भी हो अव्वल होना? मतलब टॉप पर पहुंचने में कितनी मेहनत लगती है. अगर सर्वे में औसतन 100 लोगों में से 39 ने भारत में घूसख़ोरी की बात मानी है तो इसके पीछे के साक्ष्य भी खंगाल सकते है. अधिकारी, विधायक एवं सांसद को मिलेने वाली राशि और उनके ठाट-बाट देख लीजिए फिर आइए इस रिपोर्ट पर बात करने, पैरों तले जमीन न खिसक जाये तो कहना! ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल की रिपोर्ट के मुताबिक, देश के ज्यादातर लोगों का मानना है कि पुलिस और स्थानीय अफसर घूसखोर नंबर एक है. 46 प्रतिशत भारतीय मानते हैं कि पुलिस व स्थानीय अफसर सबसे ज्यादा भ्रष्ट हैं. 42 फीसदी लोगों का मानना है कि सांसद भ्रष्टाचार में लिप्त रहते हैं. 41 फीसदी लोगों का मानना हैं कि सरकारी विभाग में भ्रष्टाचार सुपर से भी ऊपर है. वहीं 20 फीसदी लोगों ने मना कि न्याय देने वाले जज और मजिस्ट्रेट भी बिकाऊ है. 

अब क्या मंत्री व संत्री बाकी सब चंगा सी. हमने तो अपना परचम फहरा दिया. वो भी छोटा-मोटा नहीं आला दर्जे का. क्योंकि अवतार पुरुष का शासन है तो कारनामे भी तो अवतारी होंगे जिसे इतिहास के पन्ने में दर्ज किया जाएंगा और हमारे अगली पीढ़ी वाले गर्व से कहेंगे कि एक था 56 इंच का शासन...! हमें गर्व है कि दुनिया में किसी भी मामले में कम से कम हमारी सरकार ने मिसाल तो कायम की! हाल ही के कृषि कानून की बात करें तो दिल्ली कूच कर रहे किसानों का जैसे 'अभूतपूर्व स्वागत' सरकार व प्रशासन ने किया वो भी तो एक मिसाल ही बनी! 

अब सदियों तक लोग अन्नदाता पर हुए इस कारनामे को याद करेंगे और बताएंगे कि किसान दिल्ली न जा सके इसके लिए कैसे-कैसे इनोवेटिव काम किए गए. कड़ाके की ठंड में किसानों पर पानी की बौछार करना तो कोई 56 इंच के जीगर वाला इंसान ही कर सकता है. इससे भी सीना चौड़ा नहीं हुआ तो आंसू गैस, सीमेंट के बैरिकेड लगाए गए. सड़क न बने कोई बात नहीं लेकिन जो बने है उसे खोद दो ताकि सारे रास्ते ही बंद हो जाए! भाई अब अगर रास्ते खुल गए तो तरक्की भाग गई तो...! अब तो लोग उस इश्तिहार का स्क्रीनशॉट शेयर कर महापुरुष का गुणगान भी कर रहे है कि है अवतारी पुरुष सही में आप धन्य हो!



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