oxygen shortage in india

रोजाना कोरोना के 3,00,000 से ज्यादा नए मामले सामने आ रहे हैं तो तकरीबन 3,000 से ज्यादा कोविड मरीजों की मौत भी हो रही हैं. दवाओं, अस्पतालों में बिस्तर और यहां तक कि ऑक्सीजन की भी भारी कमी हो गई है. अस्पतालों में भर्ती मरीज कोविड-19 से तो मर ही रहे थे, अब वो ऑक्सीजन की कमी से भी मर रहे हैं. देश में कोरोना महामारी से जूझ रहे लोग ऑक्सीजन के लिए तरस रहे हैं. इसकी कमी के चलते मरीज दम तोड़ रहे हैं. देश में कोरोना वायरस की दूसरी लहर ने कोहराम मचा रखा है. अस्पतालों में बेड की किल्लत के साथ-साथ ऑक्सीजन की कमी भी मरीजों की मौत का कारण बन रही हैं.

देश में हर जगह हाहाकार मचा हुआ है. बड़े शहरों से लेकर छोटे शहर, टाउन, कस्बा और गांव हर जगह स्थिति विकराल रूप लेती नजर आ रही है. हर जगह कोरोना के मरीजों को बेहतर इलाज के लिए भटकना पड़ रहा है. देश की स्वास्थ्य व्यवस्था मानो चरमरा सी गई है और ये कोरोना के मरीजों का भार नहीं उठा पा रही है. शहर दर शहर लोग बेहाल हैं. कई मरीजों को ऑक्सीजन, अस्पताल में बेड और एंबुलेंस जैसी जरूरी सेवा भी नसीब नहीं हो रही है. अनेक राज्यों में मरीज रिक्शा, ऑटो रिक्शा, मोटर साइकिल पर सवार होकर अस्पताल तक पहुंचते हैं.

बड़े अस्पताल से लेकर छोटे अस्पताल तक कोरोना के मरीज लेने से इनकार कर रहे हैं. कई बार डॉक्टर भी मजबूरी में मरीजों को घर ले जाने की सलाह दे देते हैं.वहीं जो जो मरीज घर पर अपना इलाज करा रहे होते हैं जब उनका ऑक्सीजन लेवल अचानक गिर जाता है तो उन्हें अस्पतालों के चक्कर काटने पड़ रहे हैं. इनमें से ज्यादातर मरीजों के हाथ निराशा ही लग रही हैं. देश में कोरोना के मामले तेजी से बढ़ने के साथ ही ऑक्सीजन, इंजेक्शन और दवाइयों का संकट हो गया है. हाईकोर्ट केंद्र और राज्य सरकारों को ऑक्सीजन की उपलब्धता सुनिश्चत करने को लेकर फटकार भी लगा चुकी है.

कोरोना वायरस के प्रकोप का सबसे अधिक प्रभाव लोगों के जेब पर पड़ रहा है. एक ओर संकट की इस घड़ी में जहां सरकार की इंतजाम नाकाफी है. अस्पतालों में हालात जस के तस हैं. डॉक्टर मरीजों को देख-देख थक चुके हैं. चारों ओर फैले इस हाहाकार ने देश में सरकारी तंत्र के खोखलेपन और महामारी से लड़ने की तैयारों में कमी को उजागर कर दिया है. हालत ऐसे हो चले हैं कि आम लोगों को अपने स्तर पर ऑक्सीजन का बंदोबस्त करना पड़ रहा हैं.

संक्रमण की इस लहर में अस्पतालों में नए मरीजों का आना जारी है. कई बार मरीजों के परकिजनों को चिकित्सा उपकरण, ऑक्सीजन और दवाएं खुद ही इंतजाम करने को कहा जाता है. जब उनके परिजन ऑक्सीजन, उपकरणों और दवाओं को बाजार में लेने जाते है तब उन्हें बहुत अधिक कीमत चुकाना पड़ रहा है. क्योंकि भंयकर त्रासदी के इस स्थिति में भी मुनाफाखोरों एवं कलाबजारियों ने लूट-खसोट का धंधा चला रखा हैं.

इस विपरीत हालात में भी उन्हें जमाखोरी और मुनाफाखोरी सूझ रही है. आवश्यक दवाओं की कालाबाजारी हो रही है और उन्हें 10 गुना दाम पर बेचा जा रहा है. कई मामले ऐसे ही सामने आए हैं जहां लोगों ने दवा का 10 गुना दाम भी वसूल लिया और दवा भी नकली दे दी. वहीं दूसरी ओर ऐसे लोग भी हैं जो ऑक्सीजन, दवाईयां एवं उपकरण मुहैया करवाने का बीड़ा उठाया है. कुछ लोग घरों तक भी ऑक्सीजन सिलिंडर और ऑक्सीजन कॉन्सेंट्रेटर पहुंचा दे रहे हैं, तो कुछ ने सार्वजनिक स्थलों पर ऑक्सीजन देने का इंतजाम किया है. वे अपनी जान जोखिम में डाल कर दूसरों की मदद करने कर रहे हैं.

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