Precautions before taking Covid -19 vaccine

स्टैनफोर्ड मेडिकल रेजिडेंट्स ने बीते कुछ माह पहले एक प्रोटेस्ट करा था जिसमें 1349 में से सिर्फ सात रेजिडेंट डॉक्टर्स को कोविड शॉट्स लगे थे। पीछले साल अक्टूबर में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने कहा था कि 515 मेडिकल स्टॉफ कि मौत हुई थी कोविड के चलते जो बढ़ कर 747 हो गया था। अप्रैल 2021 में अगर वैक्सीन अभियान के बाद इस पर गौर करे तो गिनती के कुछ मामले आए है वो भी उनके जिनको दोनों डोज नहीं लगी थीं। 

इसमें तो कोई शक नहीं है कि वैक्सीन कारगर है। लेकिन एक बात जो समझ नही आ रही कि क्यों इसकी तायदाद बढ़ाई नही गई। करोना का कोई इलाज नहीं है पर वैक्सीन बहुत हद तक वेंटिलिटर पर जाने कि नौबत खत्म कर देती है. बहुत से कंजरवेटिव कल्ट सोसायटीज शुरू से ही वैक्सीन के विरोध में रही है। 1796 में भी जब इंग्लैंड में बच्चो के लिए स्मॉल पॉक्स की वैक्सीन आई थी तब भी कुछ संस्थाओं ने इसका खुल कर या दबी जुबान से विरोध करा था।

19वीं शताब्दी तक भी ब्रिटेन के कुछ वर्ग में कंपलसरी वैक्सीन लॉ का विरोध किया था जो 1907 में खत्म हुआ। उस समय भी लोगो ने न्यूजपेपर के संपादकों को पत्र लिखे थे। उनके पत्रों का तर्क था कि डॉक्टरों ने सरकार को अनिवार्य टीकाकरण लागू करने में योगदान दिया था ताकि वे वित्तीय लाभ प्राप्त कर सकें। एंटी वैक्सीन ड्राइव के लोगों का भी कहना यह था कि टीका लगाने वाले प्रत्येक बच्चे के लिए सार्वजनिक टीकाकारों को शुल्क का भुगतान किया गया है इसलिए यह डॉक्टरों के मुनाफे को अधिकतम करने के लिए लाया हुआ अनिवार्य टीकाकरण अभियान है।

षड्यंत्र के सिद्धांत आगे बढ़े। कहा गया कि अगर डॉक्टरों को पता था कि टीकाकरण से संक्रमण हो सकता है तो उन्हें यह भी पता था कि बच्चों की मृत्यु प्रक्रिया से हुई है। बिल्कुल जेसे भारत में कुछ लोगो कि मौत वैक्सीन के पहले डोज लेने के बाद हुई।

लोगों का तर्क यह था कि वैक्सीन एक धोखा है। लेकिन एक बात जो नकार दी गई वो थी मरीज़ कि मेडिकल हिस्ट्री। मुझे ऐसा निजी रुप से लगता है कि अगर आपको कोई बीमारी है या हो चुकी है तो उसकी जांच वैक्सीन लेने से पहले करा लेनी चाहिए। कई बार शरीर में वायरस पहले से ही मौजूद रहता है और वो बाद में रिएक्टिव मोड पर काम करता है जिससे नुकसान वैक्सीन लेने वालो को हो सकता है।

इस वक्त ज़रूरी है कि लोगों का डाटा लिया जाए और जिला प्रशासन युद्धस्तर पर काम करें। 60 से ऊपर वालो को घर-घर जा कर वैक्सीन देनी होगी। और 45+ को भी शीर्ष वर्ग पर रखना अनिवार्य है। लेकिन जो सबसे ज्यादा जरूरी है वो यह है कि जो लोग फ्रंट लाइन पर है उन्हे शॉट्स दिए जाए... भारत को UNICEF, WHO और IMA के साथ मिल कर काम करने कि ज़रूरत है। और मेरा बहुत स्ट्रांग मत है कि पूनावाला जी से अगर सब नही संभल रहा तो वो अपनी जिम्मेदारी किसी फार्मा कंपनी के साथ बांटे। 

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