Pride Month events and parades, Image Source: abcnews

भारत में आम तौर पर जून के महीने को मानसून की शुरूआत के रूप में देखा जाता है। वहीं इसी जून के महीने को दुनिया के कई हिस्सों में 'प्राइड मंथ' के रूप में मनाया जाता है। इसमें LGBTQ समुदाय भेदभाव और सामाजिक बहिष्कार के खिलाफ उनके संघर्ष का जश्न मनाते हैं। यह महीने भर चलने वाला जश्न है। कई देश आमतौर पर जून के अंत में 'गे प्राइड परेड' आयोजित करके खुशी मनाते हैं।

भारत की बात करें तो कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने प्राइड मंथ की शुभकामनाएं दीं। देश में शायद पहली बार ऐसा हो रहा है कि किसी बड़ी पार्टी के नेता ने सार्वजानिक मंच एलजीबीटी समुदाय को इतना समर्थन दिया हो। राहुल गांधी ने एलजीबीटी समुदाय के रेनबो फ्लैग को सोशल मीडिया पर शेयर करते हुए लिखा कि शांतिपूर्ण व्यक्तिगत विकल्पों का सम्मान किया जाना चाहिए। प्यार, प्यार होता है। भारतीय अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा ने भी सोशल मीडिया पर प्राइड मंथ की शुभकामनाएं दीं।

प्राइड मंथ का इतिहास

'गे प्राइड मंथ' की जड़ें अमेरिका के साल 1969 के स्टोनवॉल दंगों से जुड़ी हुई हैं। द स्टोनवॉल दंगा या कई लोग इसे 'स्टोनवॉल विद्रोह' कहते हैं। यह एलजीबीटी समुदाय द्वारा न्यूयॉर्क के आसपास आयोजित अस्थायी और छोटे प्रदर्शनों की एक श्रृंखला थी ।

28 जून, 1969 को स्‍टोनवॉल इन के ग्रीनविच गांव में पुलिस ने समलैंगिक समुदाय पर छापेमारी शुरू कर दी। कई समलैंगिकों के साथ बार में घुसकर पुलिस ने मारपीट की। समलैंगिकों को गिरफ्तार कर उन्‍हें जेल में डाल दिया गया। उस समय तक, समलैंगिकों को कानूनी अधिकार नहीं मिले हुए थे।

समलैंगिकों ने पुलिस के अत्‍याचारों के खिलाफ पलटवार किया, जो एक प्रतीक बन गया जो अगले साल बड़े आंदोलन के रूप में सामने आया। इसके साथ ही स्‍टोनवॉल इन समलैंगिक पुरुषों के लिए काफी लोकप्रिय हो गया और यह उन कुछ स्थानों में से एक बन गया, जहां समलैंगिकों को नाचने-गाने की इजाजत मिली।

साठ के दशक की बात है। इस समय वियतनाम युद्ध विरोधी विरोध गति पकड़ा हुआ था और वहीं अमेरिकी समाज में समलैंगिक समुदाय को हाशिए पर रखा जा रहा था। वास्तव में न्यूयॉर्क शहर में समलैंगिक संबंधों को अपराध माना जाता था। इस कठिन समय में स्टोनवॉल इन ने LGBTQ समुदाय को एक सुरक्षित आश्रय प्रदान किया।

समलैंगिक पुरुष 'बॉटल बार' में आ कर समय बिता सकते थे, लेकिन स्टोनवॉल इन के पास शराब का लाइसेंस नहीं था। हालांकि, शहर में अभी भी समलैंगिक समुदाय द्वारा खुल आम प्रेम करना गैर-कानूनी माना जाता था। पुलिस इन स्थानों पर छापेमारी करती और उनके मालिकों और संरक्षकों को परेशान करती रहती थी।

28 जून 1969 को पुलिस ने स्टोनवॉल इन पर छापा मारा और 13 लोगों को गिरफ्तार किया। छापे से एलजीबीटीक्यू समुदाय के लोग काफी दुखी हुए और ग्रीनविच गांव के कई संरक्षक और समलैंगिक निवासी स्टोनवॉल इन के आसपास इकट्ठा हुए। स्थिति आक्रामक हो गई। पुलिस ने कई समलैंगिकों के साथ मारपीट की और एक पुलिसकर्मी ने एलजीबीटीक्यू समुदाय की एक महिला को पीटा और उसे गिरफ्तार किया। इसके बाद विरोध प्रर्दशन इतना तेज हुआ कि दंगे का रूप ले लिया। न्यूयॉर्क में एलजीबीटीक्यू लोगों द्वारा पांच दिनों तक लगातार विरोध प्रदर्शन किया गया। इसलिए स्टोनवॉल दंगा आधुनिक समलैंगिक समुदायों के अधिकारों का एक महत्वपूर्ण दिन था। साल 2016 में अमेरिकी राष्ट्रपति ओबामा ने स्टोनवॉल इन को एक राष्ट्रीय स्मारक घोषित किया।

28 जून, 1970 को एलजीबीटीक्यू समुदाय के लोगों ने स्टोनवॉल दंगों की पहली वर्षगांठ मनाई। इसी दिन पहली बार 'समलैंगिक प्राइड मार्च’ का आयोजन किया गया। न्यूयॉर्क, लॉस एंजिल्स और शिकागो शहरों में एक साथ मार्च निकाले गए। अगले साल प्राइड मार्च का आयोजन बोस्टन, डलास, मिल्वौकी, लंदन, पेरिस और पश्चिम बर्लिन में भी किया गया। प्राइड मार्च ने एलजीबीटीक्यू समुदाय के लिए स्वीकृति और आत्मसात करने का रास्ता खोल दिया, जो लंबे समय तक मुख्यधारा से दूर रहे थे।

LGBTQ समुदाय के सम्मान का उत्सव

अमेरिका में पहली बार आधिकारिक रूप से राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने गे प्राइड मंथ जून 1999 में घोषित किया और इसके बाद जून 2000 में भी घोषित किया गया था। राष्ट्रपति ओबामा ने 2009-2016 के अपने दो कार्यकालों के दौरान जून को प्रत्येक वर्ष एलजीबीटी प्राइड मंथ के रूप में घोषित किया। राष्ट्रपति बिडेन ने भी जून को 2021 को LGBTQ+ प्राइड मंथ घोषित किया है।

दो जून को गूगल ने LGBTQ समुदाय के लिए अमेरिकी सामाजिक कार्यकर्ता फ्रैंक केमिनी को अपना डूडल समर्पित किया था। बता दें कि फ्रैंक केमिनी ने समलैंगिकता को सम्मान दिलाने और उनके अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ी थी। महीने भर चलने वाले प्राइड मंथ में LGBTQ समुदाय के लिए पिकनिक, मार्च और सार्वजनिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इसके माध्यम से LGBTQ समुदाय के बारे में लोगों को जागरूक किया जाता है।

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