Rabindranath Tagore

साहित्य जगत के साथ ही देश की स्वतंत्रता में प्रमुख भुमिका निभाने वाले रबीन्द्रनाथ टैगोर बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे. कृतज्ञ राष्ट्र ने आज शुक्रवार 7 मई को उनके 160वें जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि दीं. टैगोर ने ही देश के राष्ट्रगान 'जन-गन-मन' की रचना की. इसके साथ ही उनका गीत 'आमार सोनार बांग्ला' बांग्लादेश का राष्ट्रीय गीत भी है. महात्मा गांधी ने टैगोर को 'गुरूदेव' की उपाधि दी थी. 'गुरूदेव' एक साथ कवि, नाटककार, दार्शनिक, साहित्यकार और चित्रकार के रूप में पूरे देश-दुनिया में काफी प्रसिद्धि पाईं. उनका जन्म कलकत्ता में एक संपन्न बांग्ला परिवार में 7 मई 1861 को हुआ था.

वह एशिया से पहले व्यक्ति थे जिन्हें नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया. यह सम्मान उन्हें उनकी काव्य रचना गीतांजलि के लिए 1913 में मिला था. टैगोर के लिखे हुए गीत बेहद मशहूर हुए, जिन्हें अब रबींद्र संगीत के नाम से जाना जाता है. उन्होंने दो हजार से ज्यादा गीतों की रचना की. हालांकि उन्हें कला के क्षेत्र में कोई औपचारिक शिक्षा नहीं मिली थी लेकिन कला में उनकी असीम रुचि ने उन्हें इस क्षेत्र में आगे बढ़ने का मौका दिया. वैसे टैगोर कानून के छात्र रहें. वे कानून की पढ़ाई करने इंग्लैंड भी गए लेकिन 1880 में बिना डिग्री लिए ही वापस आ गए. बचपन से ही उनका रुझान कला की ओर था. उन्होंने पहली कविता मात्र आठ साल की उम्र में लिखी.

बांग्ला साहित्य के माध्यम से उन्होंने भारतीयों में भी आधुनिकीकरण का संचार किया. गुरूदेव की लेखनी में प्रेम, वियोग और दर्द का समावेश मिलता है. उन्हें प्रकृति का सान्निध्य बहुत पसंद था. उनका मानना था कि विद्यार्थियों को प्रकृति के पास रहकर शिक्षा हासिल करनी चाहिए. अपनी इसी सोच को ध्यान में रखकर उन्होंने शांति निकेतन की स्थापना की थी.

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