File Photo: Ram Narayan Jha Devapur, East Champaran

शिक्षा एक ऐसा अस्त्र है जिससे जीवन की बुलंदियों को छुआ जा सकता है. क्योंकि कोई भी देश विकसित तभी बन सकता है जब उसके हरेक बच्चें को सही एवं क्वालिटी एजुकेशन मिले. गौरतलब है कि देश की एक बड़ी आबादी को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा नहीं मिल पा रही है. सबसे बड़ी बात गांव एवं शहरों के इंफ्रास्ट्रक्चर में जमीन-आसमान जैसी असमानता है. इस विषम परिस्थिति में शिक्षा की मिसाल जलाई 'राम नरायण झा' नाम के शख्स ने.

आर एन झा ने अपने जीवन को गांव-जवार के बच्चों के शैक्षणिक उत्थान में लगा दिया. पिछले 30 सालों से ये सुदूर ग्रामीण अंचल के बच्चों में शिक्षा के महत्व को समझा-बुझाकर, उनमें जिजीविषा उत्पन्न कर रहे है. इनके पढ़ाये बच्चे बोर्ड एग्जाम में शानदार प्रदर्शन कर रहे है जिसकी बानगी आप मानव संसाधन विकास मंत्रालय के इस पत्र में पढ़ सकते है. 

गांव में रहकर शिक्षा की अलख जगाने वाले ऐसे लोग सही मायने में वर्त्तमान युग के चाणक्य है जिनके मार्गदर्शन में चन्द्रगुप्त तैयार हो रहे है. ये बात किसी से छिपी नहीं हैं कि भारत के विकास का रास्ता गांवों के विकास के रास्ते से होकर गुज़रना हैं. यानी सशक्त और विकसित भारत का सपना बिना गांवों के विकास एवं सशक्त किए संभव नहीं होने वाला.

ये सवाल राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के समय जितना प्रासंगिक था, उतना ही वर्त्तमान संदर्भ में भी है. ऐसे में शिक्षा ही वो बुनियाद है जिसके आधार पर बेहतर भारत की तस्वीर बनाई जा सकती है. और ऐसे शख्सियत को रिफ्लेक्शन लाइव का सलाम! जिनके वजह से शिक्षा का जहां रौशन हो रहा है. श्री आर एन झा का गांव-समाज को शिक्षित करने का यह अभियान व शिक्षा के प्रति लोगों को जागरूक करने का जज्बा समाज में नजीर बन रहा है.

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