महागठबंधन की ओर से यह सीट कांग्रेस के खाते में है. कांग्रेस ने दूसरी बार अमित कुमार टुन्ना पर भरोसा जताया है. अब ये देखना हैं कि वोटर्स टुन्ना पर कितना विश्वास जताते हैं. वहीं बसपा से मुन्नी बबन सिंह जातीय गोलबंदी एवं मतों के ध्रुवीकरण का फायदा उठाने की जुगत में है. भाजपा-कांग्रेस के बीच लड़ाई को बसपा त्रिकोणीय बनाने का प्रयास कर रही है. 

जातीय गोलबंदी व मतों के ध्रुवीकरण पर नजर गराये यहां से कुल 22 प्रत्याशी मैदान में हैं. इस विधानसभा क्षेत्र की मुख्य मुद्दें है बंदी के कगार पर पहुंच चुका चीनी मिल, गन्ना किसानों का बकाया भुगतान, बाढ़ और कटाव. एनडीए से भाजपा के पूर्व विधायक मोतीलाल प्रसाद दूसरी बार खड़े हैं. अब ये देखना दिलचस्प होगा कि जातीय गोलबंदी व मुद्दों के चक्रव्यूह में फंसे कौन से सुरमा मैदान फतह करने में सफल होते है.

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