भारत के सनातन धर्म का क्या आधार है? अपने शिक्षा से हजारों लोगों का जीवन सफल बना चुके शिव कुमार झा इस प्राचीन धर्म की गहराई के बार में बताते हैं, जो सभी धर्मों से पुराना है, एवं जीवन जीने की पद्धति के रूप में स्थापित है. साथ ही साथ उन्होंने वर्तमान शिक्षा पद्धति और हालात पर भी अपने विचार साझा किये. उन्होंने शिक्षा में सुधार के लिए सुझाव भी दिये. उनके सुझाव वर्तमान परिदृश्य में बहुत प्रासंगिक है जिसे अपना कर सरकार शिक्षा का एक आर्दश मॉडल विकसित कर सकती है.

हिंदू सनातन धर्म पर अपने विचार रखते हुए उन्होंने कहा- "राम से बड़ा राम का नाम." राम कहने मात्र से शरीर में अद्वितीय ऊर्जा का संचार होता है. शरीर का रोम-रोम ऊर्जा से भर जाता है. हम इसे यों समझ सकते हैं कि अयोध्या हमारा शरीर है और मन अर्थात् आत्मा है राम. राम प्रतीक है अंत:करण की स्वच्छता एवं निर्मलता का. जब तक अंत:करण निर्मल नहीं होगा तब तक रामत्व का वास नहीं हो सकता है.

दीपावली उसी भौतिक चीजों को साफ कर रामत्व स्थापित करने का काम करता है. राम जन-जन के राम हैं. वह विश्व के हर इंसान के अंदर रचे बसे हैं. राम लोगों के दिलों में बसते हैं, तभी उन्हें लोकनाथ कहा जाता है. इस भूलोक और संस्कृति दोनों में राम समाहित हैं. राम के प्रभाव का मूल है मर्यादा. तभी तो उन्हें पुरुषों में सबसे उत्तम पुरुष अर्थात् 'मर्यादा पुरुषोत्तम' भी कहा जाता है.

संयोग से इस साल 14 नवंबर शनिवार को दीपावली का पर्व भी पड़ा है. जबकि बाल दिवस हर साल इस दिन को मनाया जाता है. आपको बता दें कि देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के जन्मदिन, 14 नवंबर, को बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है. दरअसल पंडित नेहरू के निधन के बाद उन्हें श्रद्धांजलि देने के उद्देश्य से उनकी जन्मतिथि को ‘बाल दिवस’ के रूप में मनाये जाने की घोषणा हुई.

पंडित नेहरू की इतिहास दृष्टि ने इस देश को सांस्कृतिक रूप से समृद्ध किया. भारत के इतिहास में पंडित नेहरू के योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता. देश की आजादी के संघर्ष से लेकर स्वतंत्र भारत में लोकतंत्र को सींचकर वट वृक्ष के भांति उसे मजबूत कर, राष्ट्र और संविधान के धर्मनिरपेक्ष चरित्र को आकार देने और आर्थिक योजनाओं के माध्यम से देश की अर्थव्यवस्था की बुनियाद रखने वाले एक बेजोड़ शिल्पी तो थे ही उतने ही बेजोड़ कलमकार भी थे. बच्चों के प्यारे ‘चाचा नेहरू’ के उपनाम से लोकप्रिय नेहरू का व्यक्तित्व अपने आप में किसी ग्रंथ से कम नहीं हैं. पंडित नेहरू को बच्चों से इतना स्नेह और लगाव था कि बच्चे उन्हें प्यार से ‘चाचा नेहरू’ कहकर ही पुकारते थे. इस वीडियो में देंखे व सुनें शिक्षक शिव कुमार झा एवं क्यूट बच्चों के विचार

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