सरकार और किसानों के बीच गतिरोध को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला

कृषि से संबंधित तीन नए कानूनों पर किसान और सरकार के बीच बात नहीं बन पा रही है. इसको लेकर सरकार पर किसानों का गुस्सा फूट रहा है. गौरतलब है कि लोक सभा में कृषि संबंधी तीन बिल पास हुई है. ये 3 बिल है- पहला बिल है: कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) बिल. दूसरा बिल है: मूल्य आश्वासन और कृषि सेवाओं पर किसान (संरक्षण एवं सशक्तिकरण बिल) और तीसरा बिल है: आवश्यक वस्तु संशोधन बिल.

जहां एक ओर केंद्र सरकार इन कानूनों को वापस नहीं लेने के रुख पर कायम है. वहीं किसान हर-हाल में कृषि से जुड़े इन तीन कानूनों की वापसी चाहती है. जहां सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को फटकार लगाई है. सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से कहा है कि आप कानून पर रोक लगाएं या फिर हम लगा देंगे.

गौरतलब है कि सरकार और किसानों के बीच गतिरोध 8वें दौर की बातचीत में भी खत्म नहीं हो पाया. ऐसे नाजुक स्थिति पर शीर्ष कोर्ट काफी गंभीर है और उसने कहा कि नए कृषि कानूनों को लेकर जिस तरह से सरकार और किसानों के बीच बातचीत चल रही है, उससे हम बेहद निराश हैं. कोर्ट ने आगे कहा कि आपके राज्य कानूनों के खिलाफ विद्रोह कर रहे हैं. हालात बदतर हो रहे हैं, लोग मर रहे हैं, ठंड में बैठे हैं. खाने, पानी का कौन ख्याल रख रहा है? हमें नहीं पता कि आपने कानून पास करने से पहले क्या किया. हम नहीं जानते कि आप समाधान का हिस्सा हैं या समस्या का हिस्सा हैं.

आपको बता दें कि पिछली सुनवाई जो 17 दिसंबर गुरुवार को हुई थी. इसमें चीफ जस्टिस एस ए बोबड़े की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा था कि कोर्ट अभी कानूनों की वैधता तय नहीं करेगा. आज बस किसानों के प्रदर्शन पर सुनवाई होगी. हम पहले हम किसानों के आंदोलन के ज़रिए रोकी गई रोड और उससे नागरिकों के अधिकारों पर होने वाले प्रभाव पर सुनवाई करेंगे. शीर्ष अदालत ने कहा कि किसानों को विरोध प्रदर्शन करने का हक है.

नागरिकों को कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन करने का मौलिक अधिकार है और इसे बाधित करने का सवाल ही नहीं है. लेकिन किसी शहर को ऐसे ब्लॉक नहीं कर सकते. इसके अलावा सरकार और आंदोलनकारी किसानों के बीच मतभेद दूर करने के लिए समिति बनाने जिक्र किया था.

आज के सुनवाई के दौरान शीर्ष कोर्ट ने किसानों के विरोध प्रदर्शन को प्रतिबंधित करने वाले आदेश को पारित करने से इनकार कर दिया. सीजेआई ने कहा, "कोर्ट कोई आदेश पारित नहीं करेगा कि नागरिकों को विरोध नहीं करना चाहिए. हमने पिछली बार भी कहा था कि कोर्ट ये तय नहीं करेगा कि किसानों को दिल्ली में प्रवेश करने चाहिए या नहीं. यह पुलिस को तय करना है." सीजेआई ने कहा, "हमें यह कहने के लिए खेद है कि आप, भारत संघ के रूप में, समस्या का समाधान नहीं कर पा रहे हैं. आपने पर्याप्त परामर्श के बिना एक कानून बनाया है जिसके विरोध में प्रदर्शन हो रहा है. इसलिए आपको इस प्रदर्शन को हल करना होगा."

चीफ जस्टिस एसए बोबडे ने कहा कि सरकार जिस तरह से इस मामले को संभाल रही है, उससे वह बहुत निराश हैं. उन्होंने आगे कहा कि यदि केंद्र इसका समाधान नहीं करता है तो यह अदालत आगे बढ़कर कृषि कानूनों को लागू करने पर रोक लगा देगी.

बेंच ने ये भी कहा कि दोनों के बीच मौजूदा बातचीत से कोई समाधान नहीं निकाल रही है और इस मामले को समिति द्वारा हल करने की आवश्यकता है. सीजेआई ने कहा कि हम रिपोर्ट से समझते हैं कि वार्ता टूट रही है, क्योंकि सरकार क्लॉज दर क्लाज़ चर्चा चाहती है और किसान पूरे कानूनों पर बात करना चाहते हैं. इसलिए, जब तक समिति चर्चा नहीं करती, तब तक हम इसे लागू करने पर रोक लगा देंगे.

सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एसए बोबडे की अगुवाई वाली बेंच ने केंद्र सरकार को फटकारते हुए कहा कि उसने कृषि बिल के खिलाफ किसानों के प्रदर्शन को सही तरह से हैंडल नहीं किया. इससे हम बेहद निराश है. आगे उन्होंने कहा कि वह इस मामले में बातचीत के लिए कमिटी का गठन करेगी और कमिटी की अगुवाई सुप्रीम कोर्ट के रिटायर चीफ जस्टिस करेंगे.

साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की खिंचाई करते हुए कहा कि हमारे धैर्य को लेकर हमें लेक्चर न दिया जाए. हमने आपको काफी वक्त दिया ताकि समस्या का समाधान हो. सुप्रीम कोर्ट ने साथ ही किसानों से कहा है कि वह वैकल्पिक जगह पर प्रदर्शन के बारे में सोचें ताकि लोगों को वहां परेशानी न हो.

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