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अमेरिका में आए राष्ट्रपति चुनाव नतीजों से यह तय हो गया था कि जो बाइडेन वहां के अगले राष्ट्रपति होंगे. गौरतलब है कि अमेरिका में 3 नवंबर को चुनाव हुआ. वहां जनता इलेक्टर्स चुनती है. यही इलेक्टर्स राष्ट्रपति चुनते हैं. उनके कुल 538 वोट होते हैं. राष्ट्रपति बनने के लिए 270 वोटों की जरूरत होती है. उसी दिन जब वोटों की गिनती हुई, जिसमें बाइडेन को 306 और ट्रम्प को 232 वोट मिले. उसके बाद बात पानी की तरह साफ था कि बाइडेन ने चुनावी जंग में ट्रम्प को मात दे दी है.

सबकुछ साफ था. फिर भी जिद्दी ट्रम्प हार मानने को तैयार नहीं थे. ट्रंप ने आरोप लगाया कि वोटिंग और काउंटिंग में बड़े पैमाने पर धांधली हुई है. ट्रम्प ने कई राज्यों में केस दर्ज कराए. ज्यादातर में ट्रम्प समर्थकों की अपील खारिज हो गई. दो मामलों में सुप्रीम कोर्ट ने भी याचिकाएं खारिज कर दीं. आपको बता दें कि चुनाव के पहले ही ट्रम्प ने अपने कई बयान में बताया था कि वे हारे तो नतीजों को मंजूर नहीं करेंगे.

ट्रंप ने चुनाव में धांधली का आरोप लगाकर जनता के फैसले को नकार दिया और कार्रवाई की धमकी देते रहे. वोटिंग के 64 दिन बाद यानी बुधवार 6 जनवरी को जब अमेरिकी संसद बाइडेन की जीत पर मुहर लगाने जुटी तो अमेरिकी लोकतंत्र शर्मसार हो गया. ट्रम्प के समर्थक हिंसा करने लगे. उन्होंने यूएस कैपिटल में बड़े पैमाने पर तोड़फोड़ और हिंसा की. यूएस कैपिटल वही बिल्डिंग है, जहां अमेरिकी संसद के दोनों सदन हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स और सीनेट हैं.

आपको बता दें कि अमेरिका में चुनावीं नतीजों को अदालतों में चुनौती दी जा सकती है, लेकिन इस मसले का निपटारा 6 जनवरी के पहले यानी संसद के संयुक्त सत्र के पहले हो जाना चाहिए. यही हुआ भी. फिर, संसद बैठी. उसने चार मेंबर्स चुने. ये हर इलेक्टर का नाम लेकर यह बता रहे थे कि उसने वोट ट्रम्प को दिया या बाइडेन को. यहां भी बाइडेन ही जीते. इसके बाद भी ट्रम्प ने हठधर्मिता नहीं छोड़ी.

क्यों हुई हिंसा?

हिंसा इसलिए हुआ क्योंकि ट्रम्प अपने समर्थकों को भड़का रहे थे. वे नहीं चाहते थे कि इलेक्टोरल कॉलेज, यानी इलेक्टर्स के वोटों की गिनती हो. ट्रंप किसी भी सूरत में ये नहीं चाहते थे कि संसद बाइडेन के 20 जनवरी को होने वाले शपथ ग्रहण समारोह को ग्रीन सिग्नल दे. ट्रम्प ने सोशल मीडिया पर भड़काऊ बयान दिए. फिर हुआ वहीं जिसकी आशंका थी. सपोटर्स भड़क उठे. लाल टोपी, नीले झंडों के साथ पहुंचे ट्रम्प समर्थक हिंसा करने लगे. किसी का सिर फूटा तो कोई दीवार से गिरा. कुल चार लोगों की मौत हो गई. संसद में हंगामा हुआ. कुछ वक्त तक संसद की कार्यवाही रोक दी गई.

इस घटना ने अमेरिका में लोकतंत्र का काला अध्याय लिख दिया. क्योंकि अमेरिकी संसद पर ऐसी हिंसात्मक वारदात पूरे 206 साल बाद हुई. इससे पहले 24 अगस्त 1814 में ब्रिटेन ने अमेरिका पर हमला कर अमेरिकी सेना को पराजित करके यूएस कैपिटल में आग लगा दी थी.

हिंसा कब और कैसे भड़की?

यूएस कैपिटल के अंदर सांसद जुटे थे और बाहर ट्रम्प समर्थकों की भीड़ बढ़ने लगी. वॉशिंगटन के वक्त के मुताबिक 6 जनवरी बुधवार दोपहर 1 बजे के बाद यूएस कैपिटल के बाहर लगे बैरिकैड्स को ट्रम्प समर्थकों ने तोड़ दिया. नेशनल गार्ड्स और पुलिस इन्हें समझा पाती, इसके पहले ही कुछ लोग अंदर घुस गए. दोपहर डेढ़ बजे कैपिटल के बाहरी हिस्से में बड़े पैमाने पर हिंसा होने लगी. इस दौरान गोली भी चली. सूत्रों के मुताबिका कुल 4 लोगों की मौत हुई.

हिंसा कब और कैसे रुकी?

दोपहर 3 बजे तक ट्रम्प समर्थक संसद के अंदर घुसकर बवाल मचान शुरू कर दिया. समर्थकों ने संसद के अंदर तोड़फोड़ की. उनके इस करतूत के बाद स्पेशल फोर्स के जवानों को उन पर बंदूक तानना पड़ा. कुछ दंगाई स्पीकर हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटि्व्स की स्पीकर नैंसी पेलोसी की कुर्सी पर जा बैठे। खिड़कियों के शीशे तोड़ दिए. आर्ट वर्क को लूटकर ले गए. दोपहर डेढ़ बजे से शुरू हुई हिंसा 4 घंटे बाद शाम 5:30 बजे रुकी जब स्पेशल फोर्स, मिलिट्री और पुलिस ने यूएस कैपिटल के दोनों फ्लोर से दंगाइयों को खदेड़ दिया.

दूसरी ओर ट्विटर (Twitter) ने ट्रंप के कुछ ट्वीट्स को हटाने के साथ ही 12 घंटे के लिए उनका हैंडल सस्पेंड कर दिया. ट्विटर के इस एक्शन के बाद फेसबुक और इंस्टाग्राम ने भी उनपर 24 घंटे का बैन लगा दिया. हिंसा भड़काने का ट्रम्प का ये आखिरी दांव भी नाकाम रहा.

अपनो ने छोड़ा ट्रंप का साथ

बुधवार को अमेरिकी संसद का जो सेशन बुलाया गया. इस सेसन सकी अध्यक्षता उप राष्ट्रपति माइक पेंस ने की जो खुद रिपब्लिकन पार्टी के हैं. पेंस ट्रम्प समर्थकों की हरकतों से बेहद नाराज दिखे और गुस्सा जाहिर करते हुए कहा, ‘यह अमेरिकी इतिहास का सबसे काला दिन है. हिंसा से लोकतंत्र को दबाया या हराया नहीं जा सकता.’ ट्रम्प की ही रिपब्लिकन पार्टी की दो महिला सांसदों कैली लोफ्लेर और कैथी मैक्मॉरिस रोजर्स समेत 6 सांसदों ने उनका जमकर विरोध किया.

ट्रंप की सभी आपत्तियां हुई खारिज

एरिजोना और पेन्सिलवेनिया में बाइडेन की जीत के खिलाफ ट्रम्प की आपत्तियां खारिज कर दी गईं और उसके बाद दोनों सदनों ने जो बाइडेन की जीत पर आखिरकार मुहर लगा दी. इसके बाद ट्रम्प ने भी अपने तेवर नरम कर लिये. उन्होंने वादा किया कि 20 जनवरी को ‘व्यवस्थित तरीके से’ सत्ता बाइडेन को सौंप दी जाएगी. परंतु तब तक काफी बवाल मच चुका था और ट्रंप जाते-जाते अमेरिकी लोकतंत्र को शर्मसार कर गए.

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