पत्र पर हस्ताक्षर करते पाक जनरल नियाजी

भारत आज विजय दिवस की 50वीं वर्षगांठ मना रहा है. 1971 में पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध में भारत को मिली जीत के जश्न में पूरा देश गर्व से फूले नहीं समा रहा. देशवासी 1971 में देश के लिए अपनी जान की बाजी लगाने वाले शहीदों को नमन कर रहे हैं. भारतीय सेना ने 16 दिसंबर के ऐतिहासिक दिन को ही पाकिस्तान को युद्ध के मैदान में पराजित कर पूरे विश्व में अपना लोहा मनवाया था. इस जंग में भारतीय सेना ने पाकिस्तान को करारी शिकस्त देते हुए 93 हजार सैनिकों के साथ पाक जनरल एए खान नियाजी को आत्मसमर्पण करने पर मजबूर कर दिया था.

इस युद्ध में भारतीय सेना ने अपने जिस अदम्य साहस का परिचय दिया, उसे कभी भुलाया नहीं जा सकता. पूर्वी पाकिस्तान द्वारा आधिकारिक तौर पर पश्चिमी पाकिस्तान से अलगाव के लिए बांग्लादेश के मुक्ति संग्राम ने 26 मार्च 1971 को संघर्ष शुरू कर दिया. भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने इसे पूर्ण समर्थन दिया. भारत-पाक युद्ध प्रभावी रूप से उत्तर-पश्चिमी भारत के हवाई क्षेत्रों में पाकिस्तान वायु सेना (पीएएफ) द्वारा पूर्वव्यापी हवाई हमलों के बाद शुरू हुआ. जवाब में भारतीय वायु सेना ने पश्चिमी मोर्चे में लगभग 4000 सामरिक उड़ानें कीं और पूर्व में दो हजार के करीब उड़ानें भरीं. भारतीय वायु सेना ने युद्ध के अंत तक पाकिस्तान में हवाई ठिकानों पर छापा मारना जारी रखा.भारतीय नौसेना के पश्चिमी नौसेना कमान ने 4-5 दिसंबर की रात कोडनाम ट्राइडेंट के तहत कराची बंदरगाह पर धावा बोल दिया. पाकिस्तान ने भी पश्चिमी मोर्चे पर अपने सैनिक जुटा लिए थे. भारतीय सेना ने जवाबी कार्रवाई की और कई हजार किलोमीटर पाकिस्तानी क्षेत्र पर कब्जा कर लिया.

16 दिसंबर, 1971 को देश की पश्चिमी के सीमा पर खुले मोर्चे पर भारतीय सेना ने पाकिस्तानी सेना को हरा दिया था. इसलिए भारतीय सेना 16 दिसम्बर को 'विजय दिवस' मनाती है. पाकिस्तान ने इस युद्ध में 93 हजार सैनिकों के साथ सरेंडर किया था. युद्ध में सिर्फ एक ही चीज प्रमुख होती हैं, जीत और बाद बाकी सब चीजें सेकेंडरी. एक सैनिक के लिए देश की जीत से बड़ा कुछ नहीं होता. युद्ध में पाक के करीब 8000 सेना मारे गए और 25,000 से ज्यादा घायल हुए. वहीं, भारत की ओर से 3000 सैनिकों ने शहादत दी और 12,000 सैनिक घायल हो गए.

वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध की 50 वीं वर्षगांठ पर नेशनल वॉर मेमोरियल पहुंचकर शहीद जवानों को श्रद्धांजलि अर्पित की. इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध की 50 वीं वर्षगांठ पर राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर 'स्वर्णिम विजय मशाल' को प्रज्ज्वलित किया. इस मौके पर चार विजय मशाल प्रज्ज्वलित किए गए. इस मौके पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, सीडीएस बिपिन रावत के साथ अलावा तीनों सेनाओं के प्रमुख उनके साथ मौजूद रहे.

आपको बता दें कि नेशनल वॉर मेमोरियल के इस विजय मशाल को विजय यात्रा के माध्यम से 1971 युद्ध के परमवीर चक्र और महावीर चक्र पुरस्कार विजेताओं के गांवों सहित देशभर में ले जाया जाएगा. यात्रा की अवधि एक साल की होगी. यात्रा बांग्लादेश की राजधानी ढाका भी जाएगी. गौरतलब है कि 16 दिसंबर ही वो ऐतिहासिक दिन है जब 1971 में आधुनिक हथियारों और सैन्य साजोसामान से लैस पाकिस्तान के 93,000 सैनिकों ने भारतीय सेना के अदम्य साहस और वीरता के आगे घुटने टेक दिए थे और इसी के साथ ही दुनिया के मानचित्र में बांग्लादेश नाम से एक नए देश का जन्म हुआ.

यह सिर्फ एक युद्ध नहीं है, बल्कि दुनिया में भारतीय सेना के शौर्य का जीता-जागता प्रमाण है. इस युद्ध में पाकिस्तान की सेना जब हारने लगी, तब उसकी मदद के लिए अमेरिका, ब्रिटेन, इटली व अन्य देशों की नेवी का पूरा जत्था आ गया था. ऐसे मुश्किल हालात में भी भारतीय सैनिक डटे रहे. वहीं, युद्ध में भारत के साथ सच्ची दोस्ती निभाते हुए अन्य देशों की सेना के सामने रूस की नेवी ने भरपूर सपोर्ट किया था. वो ढाल बन कर डट रही. 

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