प्रकाश का पर्व दीपावली शनिवार को पूरे देश में धूमधाम से मनाई गई. दीये की रोशनी से जगमग हुआ जहान. घरों को रंगीन बल्ब से बेहद खूबसुरती के साथ सजाया संवारा गया था. यद्यपि कोरोना काल है पर, लोगों में इस पर्व को लेकर खासा उत्साह देखा गया. देर रात तक गांव में चहल-पहल रही. पर्व को लेकर खासतौर पर बच्चे काफी उत्साहित दिखे. मिठाईयां, पटाखों, दीया, पूजा सामग्री, फूल माला आदि से हर घर में पूजा अर्चना की गई. धन की देवी की पूजा अर्चना को लेकर कई दिनों से लोग अपने घरों का रंग-रोगन एवं साफ-सफाई के काम में लगे हुए थे. रंगीन रौशनियों से नहाई प्रतिष्ठानों और सजे-धजे मकानों की खूबसूरती से गांव जगमगा उठे.

शहरों से इतर गांव की दीपावली में अभी भी परंपरा एवं संस्कृति के चिन्ह दिखाई देते हैं. गांव में पहले महाबली हनुमान जी पूजा की जाती है. पवनसुत हनुमान जी के प्रतिक ध्वज को स्थापित कर हिंदू सनातन पद्धति से पूजा किया जाता है. पूजा में गांव भर के लोग शामिल होते है, जो ये दर्शाता हैं कि देश की संस्कृति के प्रति शहरों से कही ज्यादा गांवों के लोगों में आस्था और निष्ठा है. गांव के लोगों का यूं इकठ्ठे होना सद्भाव एवं भाईचारे के प्रतिक बनते हैं. इससे शहरी लोग एवं युवा पीढ़ी प्रेरणा ग्रहण कर अपनी सांस्कृतिक विरासत को और मजबूत बना सकते है. क्योंकि जो भी स्थापित धर्म, परंपरा एवं संस्कृति है वो मानव में एकता कायम करने में जोर देती है. और ये पर्व-त्योहार उस अनूठी संस्कृति की कड़ी बनकर मानव विकास के रास्ते समाज एवं राष्ट्र विकास के सपने को साकार करने में पथ प्रदर्शक की भूमिका निभाते हैं.



आपको बता दें कि दीपावली हर वर्ष कार्तिक मास की अमावस्या तिथि को मनाई जाती है और इस बार ये संयोग शनिवार को बना था. 14 नवंबर को कार्तिक अमावस्या दोपहर 2 बजकर 25 मिनट से शुरू होकर रविवार 15 नवंबर को सुबह 10 बजकर 07 मिनट तक थी. दीपावली महालक्ष्मी पूजा में विहित स्वाति नक्षत्र भी सूर्योदय से लेकर रात्रि 08 बजकर 09 मिनट तक था.

इस बार एक अद्भुत संयोग भी बना था और वो यूं है कि शनिवार में स्वाति से बना सिद्धि योग और विशाखा नक्षत्र से बना चर कभी-कभार बनता है. गौरतलब है कि महालक्ष्मी दीपावली पूजन में प्रदोषकाल से निशीथ काल तक रहने वाली अमावस्या श्रेष्ठ मानी जाती है. पूरे देश में शहरों से लेकर गांवों तक लोगों में जमकर उत्साह देखा गया. लोगों ने इस अवसर पर जमकर आतिशबाजी भी की. खासकर बच्चों में आतिशबाजी और दीये जलाने को लेकर विशेष उत्साह रहा. फूलझड़ी, अनार, हवाई, चक्कियां, आलू बम, बुलेट बम, राधा चक्र, कदम गाछ व अन्य किस्म के पटाखों का जबरदस्त क्रेज देखा गया. 


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