छठ पर्व में सूर्य देव की पूजा की जाती है. इस पर्व को सूर्य उपासना से जोड़कर देखा जाता है फिर भी इसे सूर्य पूजा कहने की बजाय छठ पर्व के नाम से क्यों जाना जाता है? ये सवाल श्रद्धालुओं के जेहन में आते रहता है. इस सवाल का उठना भी लाजिमी है. छठ पर्व के गीतों में भी भगवान सूर्य की ही आराधना किया जाता है. उन्हीं के गीत गुनगुनाये जाते है. लेकिन फिर भी इसे छठी मैया का पर्व कहा जाता है. आखिर क्यों कहा जाता है इसे छठी मईया का पर्व, क्या है भगवान सूर्य से छठी मैया का रिश्ता?

सबसे पहले आपको बता दें कि छठी मैया जगत जननी भगवती ही है. उन्हीं मां भगवती की रूप है छठी मैया. आपको बता दें कि नवरात्रे में मां दुर्गा के कात्यायनी देवी को भी छठ माता का रूप में पूजा जाता है. कार्तिक महीने की षष्ठी को छठ का त्योहार मनाया जाता है.

षष्ठी तिथि को मनाये जाने के कारण इन्हें षष्ठी देवी नाम से संबोधित किया जाता है जो बाद में अपभ्रंश होकर छठी मईया के नाम से प्रचलित हो गई. हिंदू सनातन धर्म के शास्त्रिये मतानुसार छठी मईया भगवान सूर्य की बहन हैं. इसीलिए लोग भगवान सूर्य को प्रसन्न करने के लिए इस पर्व में सूर्य देव को अर्घ देते है. पर, कुछ विद्वान और धर्म शास्त्र के जानकार ये भी कहते है कि छठी मैया भगवान सूर्य की पत्नी है. वे इसके लिए वेद में वर्णित उषा देवी को छठी मैया से जोड़कर देखते हैं, जो सूर्य देव को बहुत प्रिये थीं.

सूर्य देव की उपासना के पर्व छठ पूजा को प्रकृति प्रेम और प्रकृति पूजा का सबसे अद्वितीय पर्व के रूप में भी जाना जाता है. परंतु इस बार का छठ पूजा कोरोना वायरस के साये में हो रहा है. कोविड-19 महामारी का प्रकोप होने के चलते सार्वजनिक सांस्कृतिक कार्यक्रमों पर पाबंदियां लगी हुई हैं. इसके बावजूद भी लोगों के उत्साह जुनून और आस्था में कोई कमी नहीं आई है.

Discus