कोई भी काम अकारण नहीं होता है. उसके पीछे कोई न कोई विशेष उद्देश्य छिपे रहते हैं. ये तो सब जानते है कि दीपावली से पहले धनतरेस पर्व मनाया जाता है. इस दिन धन्वंतरि के अलावा, देवी मां लक्ष्मी, गणेश और धन के देवता कुबेर की भी पूजा की जाती है. और परंपरा के अनुसार एक खास दिशा 'दक्षिण' दिशा में दीप जलाया जाता है. पर, ऐसा क्यों इसके पीछे की वजह जानते हैं आप? धनतेरस के पावन अवसर पर खास आपके लिए इस अनूठी किस्से को साझा कर रहा हूं. उम्मीद है आपको जरूर पसंद आएंगा.

एक समय की बात है जब जगत के पालनकर्ता भगवान विष्णु भूलोक में विचरण करने के लिए आ रहे थे. तभी माता लक्ष्मी भी उनके साथ चलने के लिए जिद्द करने लगीं. आखिर मां लक्ष्मी के जिद्द के आगे त्रिलोक के स्वामी भगवान विष्णु उन्हें साथ लाने के लिए तैयार हुए, लेकिन एक शर्त रख दी. वो शर्त ये थी कि भगवान विष्णु जो भी बात कहते माता लक्ष्मी को उसे मानना था.

भूलोक में एक जगह पर पहुंचने के बाद भगवान विष्णु ने लक्ष्मी जी से कहा कि जब तक मैं वापस न आऊं आप यहीं ठहरना. मैं दक्षिण दिशा की ओर जा रहा हूं, आप वहां नहीं आइएंगा. विष्णु जी तो दक्षिण दिशा की ओर चले गए लेकिन मां लक्ष्मी के मन में कौतूहल जागा कि आखिर दक्षिण दिशा में ऐसा क्या रहस्य है जो मुझे मना किया गया है और स्वामी स्वयं चले गए. मां लक्ष्मी जी थोड़ी देर रूकी, सोच विचार किया. पर उनसे रहा नहीं गया और वे भगवान विष्णु के पीछे-पीछे चलने लगीं

कुछ दूर आगे जाने पर उन्हें खूबसुरत सरसों का खेत मिला जिसमें खूब फूल लगे थे. सरसों की शोभा देखकर मां लक्ष्मी मंत्रमुग्ध हो गईं और फूल तोड़कर श्रृंगार किया किया और फिर आगे बढ़ीं. आगे जाने पर उन्हें गन्ने का खेत मिला. यहां पर उन्होंने गन्ना तोड़ा और उसका रस पान करते हुए भगवान विष्णु ने उन्हें देख लिया और वे उनसे नाराज हो गए. भगवान विष्णु ने कहा कि देवि आपने मेरी बात नहीं मानी और किसान के खेत से चोरी का अपराध किया इसलिए मैं आपको ये श्राप देता हूं कि आप 12 साल तक धरती लोक में रहेंगी और किसानों की सेवा करेंगी. ऐसा कहकर भगवान उन्हें छोड़कर बैकुण्ठधाम चले गए.

दिन बितता रहा और मां लक्ष्मी किसान परिवार की सेवा करती रहीं. अचानक एक दिन लक्ष्मी ने जी ने किसान की पत्‍नी से कहा कि तुम स्नान करने के बाद मेरे द्वारा बनाई हुई इस देवी की पूजा करो. इसके बाद रसोई में खाना बनाना. ऐसा करने के बाद तुम्हें मनवांछित फल मिलेगा. किसान की पत्‍नी ने ठीक वैसा ही किया जैसा मां लक्ष्मी ने बताया था.

माता लक्ष्मी की कृपा से किसान का घर धन धान्य से भर गया. दिन, महीने एवं साल बीतते रहे और वो घड़ी भी आ गई जब लक्ष्मी जी के 12 वर्ष पूरे हो गए. अब लक्ष्मी जी को वापस स्वर्गलोक जाना था. जब माता लक्ष्मी किसान से विदा लेने की अनुमकि लेने गई तो किसान ने उन्हें वापस जाने देने से इनकार कर दिया. तभी भगवान विष्णु वहां प्रगट हुए और किसान से बोले- "लक्ष्मी चंचला हैं, उन्हें कोई भी एक जगह ठहरने से नहीं रोक सकता. उन्हें 12 साल तक आपके यहां रुकने का श्राप था इसलिए यह आपके पास रुकी रहीं.

किसान मां लक्ष्मी से मनुहार करने लगा. ऐसे में मां लक्ष्मी ने किसान का मन रखने के लिए कहा जैसा मैं कहती हूं वैसा करो. कल त्रयोदशी है. आप घर को साफ-सुथराकर शाम को मेरी पूजा करना, साथ ही दक्षिण दिशा में रातभर दीप जलाए रखना और तांबे के कलश में नारियल, अक्षत, सुपारी, रुपए भरकर रखना, मैं उस कलश में निवास करूंगी और आपको धन की कभी कमी नहीं होगी. किसान ने वैसा ही किया. उसके सारे कष्टों का निवारण हो गया. उसका घर धन धान्य से भर गया. इसलिए धनतेरस के दिन दक्षिण दिशा में दीये जलाने चाहिए ताकि मां लक्ष्मी की कृपा आपके घर-परिवार पर बनी रहे.

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