Kaimur Hills

प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण कैमूर हिल्स को बिहार का यूरोप कहा जाता है. कैमूर हिल्स लगभग 483 किलोमीटर लंबी विंध्य पहाड़ियों का पूर्वी भाग है, जो मध्य प्रदेश के जबलपुर जिले में कटंगी से बिहार के कैमूर-रोहतास जिले के आसपास तक फैला हुआ है. यह पहाड़ियां जो भारतीय उप-महाद्वीप में अरावली के साथ सबसे पुरानी चट्टान संरचनाओं में से एक हैं, मुख्य रूप से पुरानी आग्नेय चट्टानों से मिलकर बनी हुई हैं. पहाड़ियों की अलौकिक खूबसूरती, शांत वातावरण, स्वच्छ हवा, सरोवर और दुर्गम घाटियों के विहंगम दृश्य पर्यटकों को सुकून और रोमांच से भर देते हैं.

कैमूर घाटी की जैव विविधता, तरह तरह के पंछी, दुलर्भ जंगली जानवर, मूल्यवान आयुर्वेदिक औषधियां, दुर्गम किले, प्राकृतिक जलप्रपात पर्यटकों के सफर को अनूठा और रोमांचकारी बनाते है. इन पहाड़ियों पर अवस्थित हिन्दू देवी-देवताओं के पौराणिक और रहस्यमय मंदिर कैमूर हिल्स की लोकप्रियता में चार चांद लगाने का काम करते है. कैमूर हिल्स पर कई ऐसे टूरिस्ट स्पॉट हैं, जहां आप अपने परिवार व दोस्तों के साथ खुशियों से भरी एक शानदार व यादगार पल को एन्जॉय कर सकते हैं. 

आप यहां दुर्गावती डैम, शेरगढ़ किला, जगदहवा डैम, करकटगढ़ जलप्रपात, तेल्हाड़ कुंड, मुंडेश्वरी मंदिर, कैमूर वन्यजीव अभयारण्य, महादेव खोह, ताराचंडी शक्तिपीठ, गुरुद्वारा चाचा फग्गूमल, तुतला भवानी और मांझर कुंड जा सकते हैं. प्रकृति प्रेमियों के लिए यह जगह स्वर्ग से कम नहीं है. यह स्थान पर्यटकों को प्रकृति के करीब होने का मौका मुहैया कराता है.

दुर्गावती डैम- रोहतास और कैमूर जिलों के सीमा पर अवस्थित दुर्गावती डैम अपनी मनोरम सुंदरता के लिए पर्यटकों के बीच आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. पर्यटक यहां के प्रकृति की सुंदर वादियों, कलकल बहती नदी की धारा में पंक्षियों की चहचहाहट, चारों तरफ से हरे-भरे पेड़ व पहाड़ की चट्टानों पर चढ़ कर घूमना काफी पसंद करते हैं. यह डैम रोहतास के शेरगढ़ पहाड़ी व कैमूर के करमचट के पास राजादेव टोंगर की पहाड़ी के बीच से निकलने वाली दुर्गावती नदी पर बना है. पर्यटक राजादेव टोंगर की पहाड़ी के बैकग्राउंड के साथ तस्वीरें लेने से नहीं चुकते हैं.

Durgawati Dam

शेरगढ़ किला- दुर्गावती डैम के पूर्वी तट पर जिले की सीमा में शेरगढ़ का प्राचीन भूमिगत किला दर्शकों के आकर्षण का महत्वपूर्ण केंद्र बना हुआ है. शेरगढ़ किले की प्राचीर से दुर्गावती जलाशय का विहंगम दृश्य देखते ही बनता है.

Shergarh Fort

जगदहवा डैम- कैमूर भभुआ शहर से महज 20 किमी दूर चैनपुर में अवस्थित जगदहवा डैम एक खूबसूरत टूरिस्त स्पॉट है. यहां आकर मानो ऐसा लगता है कि मानव व पकृति एक हो गए हो. जहां तक नजर जाए बस जल, जंगल, पहाड़ और खूबसूरत प्राकृतिक नजारे. पक्षियों की चहचाहट, हवा से हिलते पेड़ों के पत्तों की सरसराहट के बिच वहां घूमना एक नैसर्गिक सुकून का आभाष कराता है.

करकटगढ़ जलप्रपात- कैमूर के कैमूर पहाड़ी पर अवस्थित करकटगढ़ जलप्रपात प्राकृतिक सौंदर्य का अद्भुत नजारा दिखलाता है. कैमूर जिला मुख्यालय भभुआ से 50 किलोमीटर दूरी पर स्थित इस जलप्रपात की उंचाई करीब 35 मीटर है. यहां के पहाड़ों की सुंदरता व जलप्रपात का दृश्य देखने के लिए टूरिस्त काफी संख्या में आते हैं.

तेल्हाड़ कुंड- कैमूर जिला मुख्यालय भभुआ से लगभग 33 किलोमीटर की दूरी पर अधौरा प्रखंड स्थित कैमूर की वादियों में बसा तेल्हाड़ कुंड प्रकृति की अनोखी छटा बिखेरता है. यहां आकर टूरिस्तों को प्रकृति के बीच रहने का मौका मिलता है जो उन्हें सुखद अनुभूति प्रदान करती है.

मुंडेश्वरी मंदिर- कैमूर जिले के भगवानपुर प्रखंड में मौजूद यह प्राचीन मंदिर देश के सांस्कृतिक धरोहरों में एक है. यदि आप एक साथ पहाड़ की चढ़ाई, जंगल की सैर, प्राचीन स्मारक का भ्रमण और मां शक्ति का आशीर्वाद प्राप्त करना चाहते हैं तो यहां जरूर पधारे. पहाड़ के ऊपर बना यह अनोखा मंदिर कई रहस्यों का केन्द्र भी है. शायद यही कारण है कि यहां जो एक बार आता है, वह बार-बार आना चाहता है.

कैमूर वन्यजीव अभयारण्य- कैमूर हिल्स का मुख्य आकर्षण 1342 वर्ग कि.मी में फैला कैमूर वन्यजीव अभयारण्य भी है, जिसके सैर का आनंद टूरिस्त ले सकते है. यहां आप विभिन्न वनस्पतियों और कई जीव-जन्तुओं की प्रजातियों को देख सकते हैं. जंगली जीवों में आप यहां बंगाल टाइगर, जंगली सूअर, स्लोथ भालू, सांभर, हिरण, चितल, नीलगाय आदि को देख सकते हैं. इसके अलावा आप यहां कई पक्षी प्रजातियों को भी देख सकते हैं.

महादेव खोह- रोहतास जिले के नौहट्टा प्रखंड स्थित महादेव खोह बेहद खुबसूरत पिकनिक स्पॉट है. यहां की प्राकृतिक छटा आपके मन को मोह लेगी. पहाड़, झरना, जंगल एवं महादेव का एक छोटा सा मंदिर सब आपके मन को मोह लेंगी. यहाँ घूमने के लिए बहुत सी जगह है.



ताराचंडी शक्तिपीठ- रोहतास जिला मुख्यालय सासाराम के दक्षिण में कैमूर पहाड़ी की गुफा में अवस्थित जगत जननी मां ताराचंडी देवी एक सिद्ध शक्तिपीठ है. इस मंदिर का इतिहास अति प्राचीन है. हिंदू सनातन मान्यताओं के अनुसार सती का दायां नेत्र इसी स्थान पर गिरा था. नेत्र गिरने के कारण ही इस धार्मिक स्थल का नाम मां ताराचंडी पड़ा. क्योंकि तारा का अर्थ होता है प्रकाश देने वाला.

गुरुद्वारा चाचा फग्गूमल- सासाराम के जानी बाजार में स्थित इस ऐतिहासिक गुरुद्वारा का कनेक्शन सिखों के नौंवे गुरू तेगबहादुर जी से है. यहां वे 21 दिनों तक रहे और संगतों को अपने आशीर्वाद से निहाल किया.

तुतला भवानी- रोहतास जिले के तिलौथू क्षेत्र के अंतर्गत चंद्रपुरा पंचायत में तुत्लेश्वरी भवानी का वास है. सासाराम से 25 किलोमीटर दक्षिण की ओर कैमूर पहाड़ी की गोद में विराजमान है मां तुतला भवानी. हजारों फुट ऊंची पर्वत शृंखला व हरी वनस्पति छटा के बीच झरझर गिरते ऊंचे झरने के मध्य में अवस्थित मां शक्ति का यह मंदिर दिव्यता से परिपूर्ण है. जिसके दर्शन मात्र से भक्तों के कष्ट दूर हो जाते हैं. वहीं प्राकृतिक के गोद में बसे यहां जलकुंड भी टूरिस्तों के आकर्षण का केंद्र हैं. आपको बता दें कि इस स्थान को बिहार के मिनी शिमला के रूप में भी जाना जाता है.

मांझर कुंड- रोहतास के कैमूर पहाड़ी पर स्थित मांझर कुंड अपनी रमणीयता व प्राकृतिक सुंदरता के लिए फेमस है. यह स्थान प्रकृति प्रेमियों को अपनी ओर आकर्षित करता रहा है. यहां आकर आप प्रकृति के संगीत को करीब से सुन सकते हैं. वहीं पहाड़ से गिरते पानी को निहारना टूरिस्तों को रोमांचक एहसास से भर देता है.

इन सब खूबियों के वजह से ही कैमूर हिल्स को बिहार का यूरोप कहा जाता है. ख़ूबसूरत पहाड़ियां, घाटियां, नदियां, वाटरफॉल, झारना, मंदिर, किले पर्यटकों का मन मोह लेती हैं. यह एक ऐसी जगह है जहां आप जंगल और पहाड़ी के बीच मीलों दूर पैदल घूमने के बाद एक नई ताज़गी महसूस करेंगे. यहां आपको असीम शांति और एकांत मिलेगी जो शायद ही कहीं और मिले. खामोशी की आवाज़, विशाल आकाश में बिखरे हुए अनगिनत चमकते सितारे और यहां की प्राचीन अवशेष किसी को भी अतीत का दर्शन कराने के लिए काफी है.

अगर आप रोजाना की दिनचर्या से हट कर कुछ नया देखना व महसूस करना चाहते हैं तो हरे-भरे वनों, खूबसूरत वादियों और पहाडि़यों के बीच घूमने से बेहतर और कोई विकल्प नहीं हो सकता. यहां की प्राकृतिक छटा देख कर लौटने का मन ही नहीं करता. हर मौसम में पर्यटक यहां आते हैं, लेकिन नवंबर से फरवरी वाला मौसम पर्यटकों को अधिक आकर्षित करता है.

यहां ऐसे पहुंचे: पटना से सड़क मार्ग द्वारा यहां आसानी से पंहुचा जा सकता है. भभुआ, मोहनिया, सासाराम, कुदरा एवं चेनारी से नियमित बस और टैक्सी सेवा उपलब्ध है. कैमूर हिल्स जिला मुख्यालय भभुआ से महज 37 किलोमीटर, सासाराम से 42 किलोमीटर एवं राजधानी पटना से 199 किलोमीटर है. यहां दुपहिये एवं चारपहिये वाहन से आसानी से पहुंचा जा सकता है.

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