Image by Darkmoon_Art from Pixabay 

मन रूपी दर्पण के भीतर,
छिपा हमारा आचरण।
शिष्टाचार, सभ्यता, व्यवहार ही, दिखाता हमारा आचरण।।

कई तरह के मुखौटों से,
छिपा है सब का आचरण।
अनावरण जब हो जाता,
नजर आता है आचरण।।

श्रेष्ठ ज्ञान, उच्च शिक्षा,
सिखाती है आचरण।
व्यवहार कुशलता वह जरिया है,
झलकता जिससे आचरण।।

रावण जैसे कपटी राजा ने,
छिपा रखा था आचरण।
उठा के धोखे से सीता को,
दिखाया अपना आचरण।।

निज संतान को मारने खातिर,
हिरण कश्यप का देखा आचरण।
प्रभु ने रक्षा कर प्रह्लाद की,
दिखाया खुद का आचरण।।

ग्राह ने पकड़ कर गज को,
दिखाया अपना आचरण।
टेर सुन प्रभु दौड़े आए,
रक्षा कर, दिखाया आचरण।।

द्रौपदी का चीर खींचकर,
दु:शासन ने दिखाया आचरण ।
साड़ी रूप में प्रभु कृष्ण ने,
दिखाया अपना आचरण।।

स्वार्थ वश रानी कैकई ने,
दिखाया अपना आचरण ।
राम, सीता, लक्ष्मण ने भी,
निभाया अपना आचरण।।

अमृत कलश पाने कोअसुरोंने,
दिखाया अपना आचरण।
मोहिनी रूप धर प्रभु आए,
दिखाया अपना आचरण।।

क्रोध, कुपित दुर्वासा ऋषि ने,
अम्बरीष को दिखाया आचरण।
सुदर्शन चक्र से रक्षा कर प्रभु ने,
दिखाया अपना आचरण।।

ईर्ष्या, दर्प, झूठ की ज्वाला से,
बचाएं अपना आचरण ।
शुद्ध पवित्र आत्मा में ही,
बसा है प्रभु का आचरण।।

जीवन में सच्चे सुख:दुख का,
चेहरा दिखाता आचरण।
शुद्ध आचरण से कर सकता,
मानव ईश्वर के दर्शन।।

.   .   .

Discus