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बाधाएँ बाधित करती है, अड़चनें रुकावट लाती है।
दृढ़ निश्चय, धैर्य धारणा, उच्च लक्ष्य तक पहुँचाती है ।
आजादी दिलाने देश को,देशभक्त अगर रुक जाते ।
अधीनता की बेड़ियों को, कैसे हम तोड़ पाते ।
मृत्यु है जन्म की बाधा, सामना इसका न कर पाएँगे ।
नवयुग,नवजीवन को, धरा पर कैसे लाएँगे ।
रात के अन्धेरे में डूबकर, सूर्यरथ रुकता नहीं ।
सूर्योदय के सामने कभी , चाँद भी झुकता नहीं ।
राह की रुकावट से न रुको, आगे बढ़ने का प्रण ले लो ।
प्रगति पथ पर हो अग्रसर, आसमान को छू लो ।
जन्मदात्री माँ अगर, दर्द के डर से रुक जाती ।
संसार चक्र की क्रिया को, आगे कैसे बढा पाती ।
जन्मांध सूर न हो प्रतिबंध , ह्रदय में ज्योति जला डाली ।
विष का प्याला पी गई मीरा, सर्पमाल गले में पहन डाली ।
गिरी से गिराया,अग्नि में जलाया, प्रह्लाद का विश्वास ना डोल सका।
खंभ फाड़ प्रभु प्रकट हो गए, भक्ति को रोड़ा न रोक सका।
धूप, वर्षा या कड़कती सर्दी,कृषक की न बनती बाधा।
पेट भरता है हम सबका,खुद सोता खाकर आधा।

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