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भक्त ह्रदय में है भगवान
भक्त ह्रदय में है भगवान
हम सब उनकी ही संतान
हिरण कश्यप के पुत्र प्रहलाद
भक्ति की मस्ती में थे आल्हाद
बचाए प्रभु ने प्रह्लाद के प्राण
खंभे से प्रगटे भगवान
द्रोपदी का खींचा चीर
सभा में बहाएं द्रोपदी नीर
कृष्ण आऐ ले रूप वसन
खेंचत हारा दुशासन
गज था एक घमंडी हाथी
परिवार वाले मतलब के साथी
ग्राह ने खींचे उसके प्राण
बचाने आए कृष्ण भगवान
डगर निहारत वन में शबरी
मीठे फल, नाम था बदरी
प्रभु दर्शन में हुई मगन
झूठे फल खाए हैं भगवन
सौतेली मां के कड़वे वचन
सुन बाल ध्रुव चला है वन
तपस्या की है उसने भारी
दर्शन देने आए बनवारी
मित्र सुदामा की भेंट निराली
तीन मुट्ठी तंदुल में त्रिलोकी दे डाली
दुर्योधन की आवभगत न मानी
छिलका खिलाएं है विदुरानी
अर्जुन भक्त के बने सारथी
मेरे हृदय के आप हो रथी
मैं हूं एक मूढमति नारी
दर्शन देने आओ मुरारी

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