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चाय चहेती चपल चंचला
हर दिल की है रानी
नर-नारी, बाल और बाला
सबको करती दीवानी
चाय पी कर हो तरोताजा
बुढ़ापे पर चढ़ी जवानी
जवानी का तो क्या कहना
वह हो जाती मस्तानी
कभी-कभी दवा माफिक ही
छोड़ती तीर निशानी
बुखार, खांसी या हो सर्दी
दिखा देती मेहरबानी
चाय अगर ना मिल पाए
माथा है दुखानी
बिस्किट संग चाय मिल जाए
पीकर हो जाते सुखानी
कहीं चाह, कहीं है चा
बिन दूध कहीं लाल पानी
कहीं है हर्बल, कहीं लीफ टी
कहीं गर्म संग नींबू पानी
इलायची, अदरक, मसाले वाली
लगती मन को लुभानी
कड़क, नरम, मीठी और फीकी
हर स्वाद में लगती सुहानी

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