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प्रभु चरण स्पर्श पाकर,जल बन जाता चरणामृत।
अटल विश्वास भारतवासी का,पय नहीं यह है अमृत।।
बामन रूप धारण कर हरि ने, छल किया राजा बलि संग।
चरण धोय श्री ब्रह्माजी ने, चरणामृत से प्रकट की गंग।।
चरण रज धुल जाने से, सब संशय दूर हो जाता है।
श्रीराम चरण का ले चरणामृत, केवट नैया पार लगाता है।।
ताम्र पात्र में संग तुलसी के, जब चरणामृत रखते हम।
रोग नाशक क्षमता बढ़ जाती, मेधावी बन सकते हम।।
गुरु चरणों में रखकर श्रद्धा, पाँव पखारण करते हम।
चरण धोय चरणामृत लेते, पाप निवारण करते हम।।
मात पिता के चरणो में, सृष्टि की होती है सृष्टि।
इनका चरणोंदक पीने से, जीवन में होती प्रेम वृष्टि।।
देश रक्षा में जो है संलग्न, चरण उनके धोना चाहूँ।
वीर जवानों की पद रज का, मैं पादोदक पीना चाहूँ।।
कृषक कृषि कर अन्न उपजाता, गर्मी, सर्दी, या जल बरसे।
चरणामृत उन पावन चरणों का, पीने को मेरा मन तरसे।।
रैन बसेरा नैनों में जिनकी, त्याग भावना से परिपूर्ण।
चरणामृत पीले चिकित्सक का, सेवा भाव में जो है निपुण।।

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