चारों ओर होगी खुशहाली,होली में भी होगी दीवाली।

वृक्ष एक बड़ा खुशहाल,फल,फूलों,टहनी,डालियों से,
खाद,धूप,जल,हवा से तृप्त,खाना देता सबको प्यार से।
रिमझिम बारिश की बूंदों से,पल्लवित होता रहता पेड़।
मस्त मगन परिवार पूर्ण,अगल बगल में लगी थी मेड।
कभी-कभी माली आ जाता,तोड़ देता पके हुए फल ।
कभी काट-छाँट कर देता,नये फूल फिर जाते खिल।
हर फूल जब फल बनता,देख देख होते, हम प्रसन्न।
आँधी कभी ऐसी आ जाती,मन हमारा हो जाता खिन्न।
सारा श्रम मिट्टी में मिल जाता,वृक्ष डालियाँ जाती गिर।
तेज बारिश आ जाने से,फल फूल पनपते नहीं फिर।
बीज नये फिर बोये जाते,नए पौधे पनप जाते।
हरियाली देख देख,हृदय प्रफ्फुलित हो जाते।
जड़ तना यही देखता,ऊपर चढ़ सब है प्रसन्न।
ध्यान रखा था सबका मैने,सब अपने में है मगन।
तना जब सूख जाता,कुछ न कुछ बन जाता है।
दवाई,आग,फर्नीचर,हर रूप में काम आता है।
जीवन कथा की व्यथा
जब हम पैदा होते,भरा पूरा होता परिवार ।
दादा-दादी,ताऊ ताई,मात-पिता पूरा संसार।
भाई-बहन साथ खेलते,आगे बढ़ते पढ़ लिख कर।
एक दूजे को छोड़ पीछे,चढ़ते उन्नति की सीढ़ी पर।
उन्नति की सीढ़ी देख,होता पूरा प्रसन्न परिवार।
शादी कर बँट जाते सब,टूट जाता संयुक्त परिवार।
सब अपने-अपने जीवन में,रहते,हो कर अलमस्त।
दादा-दादी का जीवन, तना-सा हो जाता ध्वस्त।
लदे हुए फल-फलों सा,वृक्ष रुपी संयुक्त परिवार।
स्वार्थ-रूपी आँधी से,तितर-बितर हुआ घर-संसार।
बारिश की बून्दों के जैसे,पल्लवित हो रहा नया संसार ।
खुशिहाली चहूँ ओर बिखरी, तना ठूंठ बन जाता यार।
सूना सूना हो जाता जीवन,शक्ति हीन हो जाता है।
अपनों से जो था मेलजोल,वृद्धावस्था में छिन जाता है।
तना ठूठ होने से बचाओ,प्यार रूपी पानी उसे भी दो ।
दादा-दादी,मात पिता को,थोड़ा समय उन्हें भी दो।
आज जिस मोड़ पर खड़े हो,कल तुम्हारा वक्त आएगा।
समय बीत जाने पर,सिर धुन कर पछतायेगा ।
संस्कारों रूपी खाद,परिवार वृक्ष में डालते जाओ।
वृक्ष हरा भरा रहेगा, प्रेम रूपी जल बरसाओ।
तना की जड़ कमजोर हो तो,वृक्ष कहाँ टिक पायेगा।
परिवार डोर की नींव मजबूत,बुजुर्ग ही कर पाएगा।
हर आँधी तूफान का सामना,एकजुट हो ,कर पाओगे।
खुशी-खुशी जीवन बीतेगा,नव कोंपले पाते जाओगे।
नयी कोंपले अंकुरित होगी,नये फूल,तब विकसित होंगे।
नयी फसल जब लहलहायेगी,तब बसन्त बहार आयेगी।
खेतों में सरसों फूलेगी,नवल वधू सम धरा सजेगी।
चारों ओर होगी खुशहाली,होली में भी होगी दीवाली।

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