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हे उर्मिले! तेरा मेरा प्यार
श्री राम सीता सेवा आगे गौण है
मैं जा रहा हूं बनवास साथ राम के
इसीलिए तूं मौन है

चौदह वर्ष क्या, चौदह जनम भी
राम के लिए त्याग सकता हूं
तू ही तो मेरी आदि शक्ति हो
तभी तो यह मैं निभा सकता हूं!

तेरा मेरा मिलन,
स्वप्न में है हो सकता
पर हाय! विधाता की लेखनी!
मैं एक पल भी नहीं सो सकता
रात्रि कटेगी तुम्हारी यादों में;

तुम भी कहां सो पाओगी
खुली पलकों में स्वप्न अनेकों
तुम भी बुनती जाओगी
हे देवी! तुम हो महान!

मात पिता की सेवा करना
जीवन सफल तभी होगा प्रिये!
खयाल सबका तुम रखना
आऊंगा प्रिये! भैया के संग में

इंतजार मेरा करना
सर्व कुशल मंगल ही होगा
यही है हमारी कामना
तन से दूर रहेंगे हम
मन से ना होंगे कभी दूर प्रिये!

महा मिलन होगा हमारा
जब मिलन होगा राम सिये!
घर के आंगन में जो क्यारी
जल सेवा करती रहना

मात कौशल्या, कैकई, सुमित्रा की
तन मन से सेवा करना
मेरी माता कौशल्या का
खयाल पल पल पर रखना
सिया राम के बिना उन्हें
महल कभी न लगे सुना

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