हे मां प्रार्थना करो ईश से,
मैं तुम्हारे उदर से बाहर ना आऊं
जो व्याप रहा है जग में
मैं शायद सहन न कर पाऊं
तुम खयाल रखती मेरा मां!
अपना खयाल भी रखना मेरी मां!
मुझे प्राप्त करने की जल्दी
तू नहीं करना मेरी मां!
भय से धरती कांप रही
नभ आंसूं बरसा रहा है
घर के भीतर बैठा प्राणी
पक्षी गण को झांक रहा है
काश ! मैं भी पक्षी बन जाता
आसमान में उड़ सकता
तेरे उदर से अच्छा होता मां!
पक्षी घर जन्म जो मैं पाता
ऊंची उड़ान पाने की चाह में
कलयुग बढ़ता जा रहा है
मन में शांति नहीं जीव के
अब अश्रु बहा रहा है
मेरे जैसे और कईं जन
मां की उदर में सोये हैं
पृथ्वी पर आने से पहले
अपने कर्मों पर रोये हैं
ऐसे हालात का जिम्मेदार कौन?
कौन बचाएगा हमको?
अब तो आजा परीक्षित रक्षक!
दुष्ट दलन कर बचा सबको!