माँ काम नहीं करती!!!!
मैं किंकर्तव्यविमूढ़ हूँ,
यह बात कोई और कहता,
शायद मुझे चोट नहीं लगती,
मेरा मन आज उस गुत्थी को
सुलझा नहीं पा रहा,
यह बात उसने कही,
जिसकी मैं माँ लगती।
जन्म से लेकर आज तक,
सुबह से लेकर शाम तक,
परिवार से लेकर सास-ससुर तक,
सब की माँग पूरी करना,
सेवा करना,
स्वेच्छाओं की हत्या करना,
और यह सुनना
माँ काम नहीं करती!
थोड़ा विस्मयादि बोधक
लगता है,
हास्यास्पद हो जाती है जिन्दगी,
सोचते हैं
अपना ही सिक्का गोल है,
दिमाग में जिसके भूगोल है,
सूरज एक तरफ चमकता है,
दूसरे परिवेश में चाँद दमकता है,
यह बात उस भौगोलिक के
समझ नहीं आती,
माँ काम नहीं करती!!!
माँ-बाप अपने मुँह का खाना
सन्तान को खिलाते हैं,
धरती पर सो सन्तान को
बिस्तर पर सुलाते हैं।
परिणाम के तौर पर,
यह सुनने को मिलता है,
मेरी माँ काम नहीं करती!!
क्यों आँख मूँद लेता है,
नहीं देखता,
माँ बुड्ढी होने को चली,
आज भी सारे काम
घर के ढोती है ।
कपड़ो पर स्त्री करने से लेकर,
छोटे-छोटे काम करना
उसकी आदत है।
जो आलस्य की देवी नहीं!
मेहनत की पुजारिन है!
कैसे सह सकती है?
माँ काम नहीं करती !!
जो काम को पूजा समझती है,
सेवा ही जिसका धर्म है,
सबको प्यार बाँटना
जिसका कर्म है,
माँ काम नहीं करती सुन
कलेजा धड़कता है।
अरे!! माँ काम करती नहीं,
काम करवाती भी नहीं है।
भगवान से प्रार्थना यही करती है,
सन्तान व सन्तति
स्वस्थ रहें मस्त रहें।
अरे!इतना सुन भी
दुराशीष नहीं दे सकती ,
इतना सुन भी
काम किए बिना नहीं रह सकती।
खून के घूंट पीती है,
जब सुनती है
माँ काम नहीं करती !!!
माँ काम नहीं करती!!!!!!

.    .    .

Discus