(१),जब जब मर्यादा की होती है उलंघना।
तब तब महाभारत की,होती है संरचना।

(२)द्युत क्रीडा में पाँडवों ने, मर्यादा का उल्लंघन किया।
द्रौपदी नहीं थी वस्तु, दाँव पर उसे लगा दिया।

(३)दु:शासन का द्रौपदी को सभा में,केश पकड़ खींच लाना।
मर्यादा का तिरस्कार!! मर्यादा की थी अवहेलना!!

(४)पाँचो पाँडवो की मर्यादा , हो गई थी अभिशिप्त।
नारी के सतीत्व की रक्षा ,कर न सके,होकर जागृत।

(५)धृतराष्ट्र था आँख का अँधा ,भीष्म पितामह की क्या थी विवशता?
गुरू द्रोणाचार्य और विदुरजी, भूल गए क्यों सज्जनता?

(६)अभिमन्यु अकेला योद्धा, चक्रव्यूह में फँस गया ।
धोखे से मारा वीर को, मर्यादा का अतिक्रमण किया।

(७)ब्रह्मास्त्र से, उत्तरा गर्भ की, श्री कृष्ण ने संरक्षणा की ,
द्रौपदी का चीर बढा कर, नारी मर्यादा की रक्षा की।

(८) मनोइच्छा की करने परीक्षा ,
कुन्ती ने सूर्य का आवाह्न किया।
कुंवाँरी माँ की बचाने मर्यादा, पुत्र कर्ण को त्याग दिया।

(९) मर्यादा मर्यादित ना होती ,तोड़ देती अगर सीमा ।
सब हदें पार हो जाती, अणिमा,लघुमा, और गरिमा।।

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