पर्वत की तरह अटल, निश्चय
उच्च विचार हमारे हो
जहां ऊंची चोटियां, घने वृक्ष
झरनों की कतारें हो
जहां जड़ी बूटियों, केशर क्यारियों के
अनुपम वृक्ष निराले हैं
जहां हर युग में, हर ईश्वर के
मंदिर की बहारें हो
जहां चोटियों से झरने बहते
नदियों में मिलते सारे हो
जहां तपस्वियों के तप करने को
गहन बद्री वन हजारों हो
जहां कईं हिम श्रृंखलाएं
केदारनाथ के द्वारे हो
यह पर्वत हमारे है जीवन धन
कैसे हम इनसे न्यारे हो