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पृथ्वी पर मानव का आज जो स्वरूप हम देख पा रहे हैं, वह पशु का विकसित रूप ही माना जाता है। आदिमानव दिखने में (चिंपाजी)बंदर+मानव जैसा होता था।वह हमारा ही विकृत रूप था। जैसे-जैसे सभ्यता बढ़ी, मानव उन्नति करता गया।

मानव उत्थान में सबसे बड़ा हाथ पशुओं का है।। एक स्थान से दूसरे स्थान की दूरी मानव खच्चर,गधा,घोड़ा, बैल से तय करने लगा।खेती करने के लिए सबसे उत्तम पशुधन बैल है।घर में रखवाली करने के लिए कुत्ता इंसान से भी ज्यादा समझदार और वफादार होता है। बिल्ली भी पालतू पशु है जो हर वक्त अपने मालिक के लिए चौकन्नी रहती है।

गाय को माता कह कर पूजा करते हैं। गाय श्री कृष्ण को बहुत प्यारी थी।बिना गाय कृष्ण की कल्पना भी नहीं कर सकते।गाय के हर अंग में देवता का निवास माना जाता है। कारण गाय का दूध एक ऐसा अमृत है जिसके बिना हम घृत,दही,नवनीत,दूध व नाना प्रकार की मिठाइयों से वंचित हो जाते हैं ।गाय का मूत्र और गोबर तो इतना शुद्ध माना जाता है कि मरे हुए आदमी को पसारने वाले स्थान पर गोबर का लेप किया जाता हैं एवम् गौमूत्र छिडका जाता है जिससे उस स्थान की शुद्धता बनी रहे।गोबर से बने उपले ईंधन का काम करते हैं।

आज बड़े दु:ख की बात है कि गायों की तस्करी कर, थोड़े से पैसे के लालच में कसाई के हाथों बेच दिया जाता है। जो सबसे बड़ी घृणास्पद स्थिती है।

गाय बिन कृष्ण अधूरे तो बंदरों के बिन भगवान राम का वजूद भी अधूरा अनुभव होता है।सीता की रक्षा हेतु जहां गिद्ध नेअपने प्राणों का बलिदान किया वहां वानरों का सहयोग भी कम नहीं था।सागर पर सेतु बांध, नल-नील के हाथों पत्थरों द्वारा बनाया गया तो माता सीता का पता हनुमान जी ने लगाया। बाली पुत्र अंगद व सुग्रीव सब राम जी की सेवा के प्रमुख अंग थे जो कि बंदर थे।जाम्बवंत भालू रामजी की सेना के प्रमुख मुखिया थे।

' सिंह पीठ पर चढ़ी भवानी' को हम भुला नहीं सकते । माँ दुर्गा का वाहन शेर है।इन्द्र का वाहन ऐरावत हाथी उसका जीवन साथी है।छोटा ही सही पर प्रथम पूज्यनीय गणेशजी चूहे की सवारी से तीनों लोगों का चक्कर काटते हैं तो भगवान शिव नंन्दी पर सवार होकर भ्रमण करते हैं ।

रेगिस्तान का जहाज ऊंट ही माना जाता है।बालू में जहां जीप का पहिया काम नहीं करता वहां ऊँट अपनी ताकत से हर स्थान पर सवारी,गाड़ी ले जा सकता है।तांगा चलाने घोड़ा काम आता है तो स्लेज खींचने ध्रुवीय भालू। पहाड़ी रास्ते खच्चर पार कराते हैं तो भेड़ की ऊन से हम ठंड से बच जाते हैं। बकरी भी किसी से कम नहीं है बकरी का दूध बहुत हल्का होता है बच्चों को पिलाने में और कई बीमारियों में काम आता है ।

यह तो कुछ गिने-चुने पशुओं का नाम मैंने लिया है जो दैनिक जीवन में अति आवश्यक हमारे सहारे है।इनके बिना हमारी दिनचर्या अधूरी है।

पौधे, पशु और इंसान अपने अस्तित्व को बचाने केलिए एक दूसरे पर निर्भर होते हैं।

जंगली जानवर जो घने जंगलों में रहते हैं आज आवारा होकर कभी कभी शहरों में घुस आते हैं ,कारण मानव निजी स्वार्थ के लिए जंगल काटकर शहर बना रहे हैं।जंगल जानवरों का निवास स्थान है जिसे काटना कानूनन जुर्म है। अतः हमें पशु रक्षा हेतु निजी स्वार्थ को तिलांजलि देनी होगी।

औरत सारा श्रृंगार कर ले परंतु बिंदी बिना अधूरी सी लगती है वैसे ही मानव जीवन बिना पशुओं के अधूरा है।पशु पक्षी के बिना हमारी धरती अधूरी सी प्रतीत होगी।पशु पक्षियों का जीवन संरक्षित करना हर मानव का कर्तव्य है ।छोटी-छोटी बातों पर ध्यान दें तो पशु सुरक्षित रह सकते हैं। गर्मी के दिनों में हम अपने घर के बाहर ऐसे कोने में पानी का टब या हौज भरकर रख सकते हैं जहां आता-जाता पशु पानी पी सके।सरकार को भी जानवरों के लिए छोटे छोटे तालाब बना देना चाहिए ताकि पानी की प्यास पशु बुझा सके।तपती धूप में पानी के अंदर घुस थोड़ी राहत पा सके।

आज इस पॉलिथीन युग में पशु की जान खतरे में आ गई है।हम अपनी सुविधानुसार पॉलीथिन पैकेट में कचरा,छिलके,व फालतू सामान फेंक देते हैं जिसे मेहतर अपनी सुविधानुसार कूड़े के ढेर में फेंक देता है।सड़क पर घूमने वाले पशु उसी पालीथिन को निगल जाते हैं जिससे उनकी भोजन नली व श्वांस नली रुक जाती है और वो मृत्यु के शिकार हो जाते हैं।

हमें चाहिए घर का सूखा व गीला कूड़ा अलग अलग कूड़ा दान में बिना पालीथिन के डाले।इससे पशुओं को सब्जी का छिलका खाने में सुविधा होगी व सूखे कूड़े से बायो गैस भी बनाया जा सकेगा।इस काम के लिए सरकार का सहयोग भी अति आवश्यक है ।

पालतू पशु तो इतने समझदार व वफादार होते हैं कि वह अपने मालिक के एक इशारे को समझ जाते हैं।जो बात हमारे बच्चे आज पढ-लिख के नहीं समझ पाते। पशुओं को प्यार से सहलाओ,वह ऐसे बिछ जातें हैं।यह खुशी वही जान सकता है जिसने किसी पालतू को पाला हो।मानव मन चालाकी कर जाता है पर जानवर चालाक नहीं होते।वह छल-कपट की भाषा नहीं जानते। हमें भी उनके साथ प्रेम व्यवहार करना चाहिए।

जानवर मूक होते है। वह बोल नहीं पाते पर अगर मालिक तकलीफ में हो तो पालतू पशु मिमियाने लगते हैं। वह जानवर होकर इतने समझदार हैं तो हम इंसानों को उनके दर्द को अवश्य समझना चाहिए। बीमार पशु का इलाज सही समय पर करवाने से वस्तुतः उसकी जान बच जाती है ।हर जगह सरकार द्वारा व प्राइवेट खोले गए पशु चिकित्सालय होते हैं, जहाँ हमें इनकी जाँच कराते रहना चाहिए।

जानवर को अगर बेच भी दिया जाए तो भी वह नकारा नहीं होता। अपने मालिक के घर की तरफ दौड़ दौड़ कर आता है ।अरे भाई !आज के युग में अपने बच्चे मुँह फेर लेते हैं पर जानवर जिसे हम अज्ञानी समझते हैं, उनके भी दिल है,उसमें भी प्रेम भरा है। उसे अपने पराए का ज्ञान है, नहीं तो क्या वह ऐसा करता? जानवर तो मरने के बाद भी काम आता है ।जानवरों की चमड़ी से चमड़ा बनता है ।जिससे अनेकों सामान बनते हैं। जिसकी कीमत बहुत ज्यादा होती है। हम बड़े शान से कहते हैं कि मेरे पास चमड़े का बैग है ,चमड़े का बेल्ट है इत्यादि। फिर ऐसे पशुओं का रक्षण, रखरखाव व देखभाल करना हम लोगों का अधिकार और कर्तव्य दोनों ही हैं।

भारत एक कृषि प्रधान देश है जहाँ पशुओं का होना बहुत जरूरी है। बैल हल जोतने काम आता है ।बैल की आँखो पर पट्टी बांध कर उल्टा चलाते हैं।जब तेल निकाला जाता है।

आज के युग में पैसा ही मात्र धन माना जाने लगा है ।आज से पहले पशुधन से इंसान की हैसियत आँकी जाती थी। हाथी,घोड़े लड़ाई के मुख्य साधन थे। धीरे-धीरे हम आगे बढ़ते जा रहे हैं। पशुओं की जातियाँ लुप्त होती जा रही है।ऐसे में हम आगे आने वाली पीढ़ी को सिर्फ चित्र दिखा कर बताएंगे,ऐसा जानवर ऐसा दिखता था या अमुक जानवर ऐसा दिखता था।यह हमारा बहुत बड़ा दुर्भाग्य होगा।

आज के औद्योगिकरण युग में वायु व जल प्रदूषित हो रहे हैं। जिससे इंसानों के साथ पशुओं पर भी दुष्प्रभाव पड़ रहा है।अत:आज हम मानवजाति को पशुओं के प्रति प्रेम जगाने का संकल्प लें लेना चाहिए। हमारी सरकार का वृहद् रूप से योगदान अत्यन्त आवश्यक है ताकि मानव स्तर में पशु का स्थान ऊँचा रहे।

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