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शीत ऋतु शीतल शशि
झांकत झरोखे माहीं
दृश्य देख मन डोल उठा
नाचत मयूर की तांहीं
शरद पूनम की रात्रि
पूर्ण खिला है चांद
तारागंण जग-बुझ करत
दृश्य बड़ा अभिराम
पौ फटी रजनी हटी
नव उज्जवल हुई भोर
दिनकर दर्शन देन लगे
रश्मि फैली चहूं चोर
पक्षी गण कलरव करत
गऊवन रही रंभात
जाग उठे प्राणी सभी
हो गई नवल प्रभात

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