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चार धाम में धाम एक,पुरी का जगन्नाथ मन्दिर ।
मन्दिरों की नगरी कहलाता,ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर।
ऐतिहासिक स्मारकों से सजा,कोणार्क का सूर्य मन्दिर,
साखीगोपाल साक्षी देता,भक्तजनों को निरन्तर ।
ओडिशा पहले,कलिंग और उत्कल नाम से जाना जाता।
माता की नाभि गिरी जहाँ,विमला शक्ति,शिव जगन्नाथ माना जाता।
जगन्नाथ मन्दिर का रसोई घर,भारत में सबसे बड़ा है।
सात मटकियों में पकता भोजन, महाप्रसाद का स्वाद बहुत तगड़ा है।
जगन्नाथ जी के मीठे खाजे,सर्वविदित और प्रसिद्ध है।
संभल और इक्कत की साड़ियाँ,विश्व भर में प्रसिद्ध है।
गोपालपुर व अस्तरंगा समुद्र का,गहरा नीला पानी ।
आकर्षित हो देखने आते, सैकड़ों सैलानी ।
बालीघाई समुद्र तट पर, पिकनिक मनाने आते।
बालिहारिण जाति के,हिरण वहाँ पाए जाते।
चाँदीपुर समुद्र तट किनारे, मन्दिर बडे मनमोहित।
बालेश्वर समुद्र तट किनारे, हरियाली करती सम्मोहित ।
मन की सच्ची शान्ति मिलती,तालासारी समुद्र तट पर।
ऊर्जादायक मौसम मिलता,आर्यपल्ली समुद्र तट पर।
समुद्री कछुए पाये जाते,रूशिकुल्या समुद्री तट पर।
सूर्योदय-सूर्यास्त के नजारे,पुरी के समुद्री तट पर।
भाषा जहाँ की है उड़िया,उड़िया लोक नृत्य बहुत मनमोहक।
मादल व बाँसुरी संगीत संग,नौका पूजा का त्यौहार है रोचक।
पोपांश में स्थित हनुमान मूर्ति,भारत की विशाल मूर्ति है।
बासठ समुदाय के लोग ओड़िशा में, सबकी अलग-अलग संस्कृति है।
उदयगिरि,खण्डगिरि की गुफाएँ,प्रथम गुफाएँ मानी जाती,
जैन समुदाय द्वारा निर्मित,रानी गुफा प्रसिद्धि की पदवी पाती।
भितरकलिका राष्ट्रीय उद्यान,प्रकृति प्रेमियों का स्थल है।
रंग-बिरंगे पक्षी,पशु व कछुआ, मगरमच्छों का जहाँ दल है।
सिमलीपाल उद्यान का झरना,पर्यटकों को करता आकर्षित।बंगालीशेर ,हाथियों का झुण्ड,जंगली सांड,सिंघा जहाँ विचरित।
प्राकृतिक वातावरण में स्थापित, "गार्डन ओफ हैवन"नंदनकानन।
बब्बर शेर,अजगर, मगरमच्छ,पीठ गिद्ध का संरक्षित प्रजनन।
सप्तपुरी में पूरी एक,जहाँ जगदीश विराजत।
स्वर्गद्वार में दाह संस्कार कर, मानव सीधा स्वर्ग सिधावत।
जगन्नाथ,बलभद्र,सुभद्रा,काठ मूर्तियों का अनोखा मन्दिर।
पंचतत्व में विलीन कृष्ण का दिल, धड़कता आज भी मूर्ति अन्दर।
मन्दिर पर लहराती ध्वजा,हवा के विपरीत उड़ती है।
पंछी की छाया कभी,निज मन्दिर पर न गिरती है।
रथ यात्रा के लिए प्रसिद्ध,पुरी के रहस्यमयी आकर्षण।
प्रभु प्रसाद पाते हैं सब,कभी भूखे न रहते भक्तजन।
भुवनेश्वर,पुरी,कोणार्क, स्वर्ण त्रिभुजा बनाता।
बौद्ध तीर्थ स्थल रूप में,शहर ये जाना जाता।
लिंगराज शिव मंदिर,सफेद पगोड़ा, स्तूप शांति प्रतीक।
रत्नागिरी उत्खनन,बिंदु सरोवर, धौलीगिरी की पहाड़ियां प्रसिद्ध।
कोयल,शंख और ब्राह्मणी नदी से,
राउरकेला घिरा हुआ है।
इस्पात नगर और स्टील सिटी नाम से,ये शहर प्रसिद्ध हुआ है।
"ओडिशा की गंगा" पवित्र नदी, बैतरणी नदी कहलाती।
मृत्योपरान्त प्राणी को,स्वर्ग की राह दिखाती।
महानदी पर निर्मित हीराकुण्ड बांध, विश्व में सबसे बड़ी जानी जाती।
"ड्राइव -थ्रू" सड़क बान्ध के अंदर, विशाल कृत्रिम झील की सैर कराती।
सात अजूबों में एक अजूबा,कलाकृति कोणार्क का सूर्य मंदिर।
मूर्तिकला,प्राचीन कला से सजा, पत्थर नक्काशी का अद्भुत मंदिर ।
घने जंगल,धुंध में छिपी घाटियाँ,हाथी पत्थर कोलाब जलप्रपात ।
गुप्तेश्वर गुफाएँ,सुनबेड़ा,देवमाली, आकर्षित जैपोर में दुदुमा जलप्रपात।
पारादीप का तटीय परिदृश्य,घने जंगल,झरनों से सजा है।
प्राचीन बन्दरगाह,खूबसूरत समुद्री तट,पर्यटकों को देख आता मजा है।
हस्तशिल्प और शिल्प कलाकारी, दुनियाभर में प्रसिद्ध।
पीपली के कारीगरों की कला, कशीदाकारी के लिए विश्व प्रसिद्ध।
सुनियोजित "मिलेनियम शहरों"में कटक,जहाँ भितिरकनिका वन्यजीव अभयारण्य।
भट्टारिका मन्दिर,महानदी बैराज, अंसुपा झील,ललित गिरी का लावण्य।
जगन्नाथ स्वामी की नगरी का,पूर्ण कर सकूँ ना वर्णन।
प्राकृतिक दृश्यों से सुसज्जित,ओडिशा का आकर्षण।