हर युग में मानव की चेतनता ,आगे कदम बढ़ाती है ।
पाषाण युग से कलयुग तक, नित नये साज सजाती है।
जीवन का प्रतिपल अनमोल, व्यर्थ इसे ना गवाँए हम ।
साँध तीर निशाने पर ,जन्म सफल बनाएँ हम।
अहम्,अहंकार,आधुनिकता का, जीवन में ना हो समावेश।
चेतना चेतन में रखें,अभिमान का मन में न हो प्रवेश।
मेरा देश, मेरा भारत ,जन्मभूमि महान् है ।
चौकस रहूँ मैं देश के लिये, जैसे स्वामी भक्त श्वान हैं ।
जागरूक, जागृत, जागरण, जीवन में जननी करती ।
चेतन, चेतना, चैतन्यमयी हो, पथ प्रदर्शिक बनती।
जननी,जमीन,जायदाद के ,रक्षक रहे हम जीवन में।
एक पालनहारी,एक दातारी,एक प्रसिद्धि देती हर पल में।
चार पहिया या हो दो पहिया, जरूरी है सावधानी रखना।
पल भर में जीवन खो देते, हो जाए अगर कोई दुर्घटना ।
अपनी जान बचाने हेतु मानव जाति सचेत है ।
प्राण किसी का भी हर लेते, इसका ना कोई चेत है।
करते कृषक कृषि की रक्षा,सीमा रक्षक जवान है।
जय जवान,जय किसान पर,देश को अभिमान है।
दूरदर्शिता दिखाई जटायु ने, रावण से जमकर युद्ध किया।
सारा हाल बता राम को, चरणों में प्राण त्याग दिया।