मृत काया का मोल नहीं है
मोल है श्वासों-नि:श्वासों का
लेन- देन का रिश्ता- नाता
यह सब है विश्वासों का
जैसी करणी वैसी भरणी
कर्मों का है लेखा-जोखा
ना किसी का गुण -दोष है
ना दे किसी को हम धोखा
बड़े-बड़े राजा- महाराजा
ऊंची पदवी पर आसीन हुए
समय का पलड़ा जब-जब पलटा
दुश्मन के आधीन हुए
घमंड ,दर्प, लालच और गुस्सा
क्या भला कर पाया है?
सोने की लंका रावण की
खुद हाथों से गवांया है
राम नाम एक अमरबेल है
इसकी माला जपते जाओ
एक-एक पल है बड़ा कीमती
सदुपयोग करते जाओ
जीवन सुख से जीना है यारों
आशा किसी से कभी न करो
नाता नारायण से जोड़ो
भवसागर से उद्धार करो
मौन की महिमा पहचानो
वृद्धावस्था की जो पूंजी है
उतना ही बोलो जितनी जरूरत
सफल जीवन की कुंजी है