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स्मरण करें उस व्यवस्थापक का,सृष्टि सृजन कर उपकार किया।
धरती,गगन,सागर,नदियाँ देकर,
बदले में हमसे कुछ न लिया।
याद रखें उस मातृशक्ति को,वेदना सह जन्म देती है,
निज रक्त से सींचती जीवन,सारे कष्ट सह लेती है।
ना भूले उस अटल सत्य को,हर पल सिर पर मँडराता है,
कब,कहाँ,किस रूप में आकर,मृत्यु लोक से ले जाता है।
गोविन्द से महान है गुरु,सत्यता का मार्ग दिखाते हैं,
स्वयं से पहले,वह शिष्य को,प्रभु दर्शन करवाते हैं।
कृतघ्न ना हो उस कृतज्ञता से,संकट में जिस ने साथ दिया,
निराश,हताश होते हैं जब,हृदय से अपने लगा लिया।
व्यर्थ न जाए अन्न का दाना,चिन्ता करें पूर्ण समाज की,
दाने-दाने में मेहनत कृषक की,कीमत पहचाने अनाज की।
देश की रक्षा करने वाले,वीर शहीदों को करें नमन,
जन्मभूमि की सेवा हेतु,उजडा दिए हैं अपना चमन।
व्यावहारिकता में भूल हो जाए,फिर से कभी ना दोहराएं,
रिश्तो की दुनिया है प्यारी,सन्धि विच्छेद ना हो पाए।
पान सड़ जाता,घोड़ा अड़ जाता,विद्या विस्मृत हो जाती है,
इसे दोहराते रहने से,नवीनता आ जाती है।
विस्मरण ना हो मानवता का,हर वर्ग का सम्मान करें,
प्रभु की सन्तान है सब,उसका ही गुणगान करें।