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देवों की भूमि उत्तराखण्ड,जहाँ गंगोत्री-यमुनोत्री बहती है।
स्वर्ग से सुन्दर यह भूमि,प्रभु आत्मा जहाँ बसती है।
चारों धाम में धाम एक,उत्तरांचल का बद्रीनाथ धाम।
बद्री,केदार,गंगोत्री,यमुनोत्री,उत्तराखण्ड के चारो धाम।
इतिहास,संस्कृति,परम्परा,पहाड़ों से सजा प्राँगण हैं।
हिमालय की चोटियाँ, सर्पीली नदियाँ,श्रद्धेय मन्दिरों से सजा आँगन है।
गुफाओं प्राकृतिक झरनों से सजी, राजधानी देहरादून।
सहस्त्रधारा पास रोपवे,पर्यटकों का मनोरंजन।
"शारदा" मतलब हजार गुना बसन्त, औषधियों का आकर्षण।
लक्ष्मणसिद्ध मंदिर,टपकेश्वर महादेव, माईड्रोलिंग,बौद्ध मठ है महत्वपूर्ण।
रोमांचकारी साहसिक खेलों के लिए प्रसिद्ध,हिमालय तलहटी में बसा ऋषिकेश।
जुड़वा पुल राम-लक्ष्मण झूला, परमार्थ निकेतन की आरती विशेष।
नर-नारायण पर्वत बीच,बसा है बद्रीनाथ धाम।
प्राचीन तीर्थ स्थल भारत का,शोभा बड़ी अभिराम।
तप्त कुण्ड,शीतल कुण्ड में स्नान कर, भक्तजन मुक्ति पाते।
विष्णु भगवान का धाम यह,श्रद्धालु दर्शन करने आते।
हिमालय ऋँखलाओं में बसा, रुद्रप्रयाग जिले में केदारनाथ धाम।
चाँद की चाँदनी में चमकती,हिम श्रृँखलायें,छटा बड़ी अभिराम।
बारह ज्योतिर्लिंग में एक,केदारनाथ माना जाता।
केदारनाथ शिखर,गुबंद,ऊँचीझील गौरीकुण्ड से माँ पार्वती का नाता।
शिव को करने प्रसन्न,माँ ने की यहाँ आराधना।
झील में स्नान करने,माँ ने की सुुत गणेश की रचना।
गौरीकुण्ड ,सोनप्रयाग,उखीमठ, गुप्तकाशी पंच केदार।
भक्तजन दर्शन करने आते,लगती भीड़ अपार।
गोमुख गंगा का उद्गम स्थल,
गंगोत्री पावन धाम।
भागीरथ के अथक प्रयास से,माँ गंगा पधारी धरा धाम।
यमराज की बहन यमुना मैया, यमुनोत्री में विराजे।
तप्त कुण्ड में कर स्नान,भक्तों का मृत्युडर भाजे।
गंगा नदी तट पर स्थित,पवित्र - पावन हरिद्वार।
अस्थि कलश पधराते श्रद्धालु,गंगा नहा,करते जीवन नैया पार।
गंगा तट पर शाम को,होती गंगा आरती ।
आरती के दर्शन कर,मन को मिलती शान्ति।
नैनीताल "सरोवर नगरी" "झील नगरी" नाम से जाना जाता।
माँ सती की बाई आँख गिरी,शिव पार्वती से जुड़ा है नाता।
नैन आकार की झील यहाँ,नैनी झील कहलाती।
नैनी देवी का मन्दिर,दर्शन करने आते दर्शनार्थी।
जिम कॉर्बेट पार्क,पर्यटन स्थल प्रसिद्ध है।
नैनीताल राष्ट्रीय उद्यान,बंगाल टाइगर के लिए प्रसिद्ध है।
रानीखेत "रानी की भूमि",जहाँ सेब, खुबानी,देवदार बगीचे हैं जमकर।
ट्रैकिंगरेॅज,गोल्फग्राउँड,झरनें,चोटियाँ, भालूबांध,मनकामेश्वर,झूला देवी राम मंदिर।
"क्वीन ऑफ द हिल्स" नाम से प्रसिद्धि है पाता ।
भारत में हनीमून स्थल, मसूरी माना जाता।
कैम्प्टी फॉल,लाल टिब्बा,कैमल्स बैक रोड,कम्पनी गार्डन।
सबसे ऊँची चोटी गन हिल,माल रोड शानदार नजारे, घाटी दून।
तिब्बत से सटा, पिथौरागढ़,पर्यटन का स्थल है ।
पहाड़ों की ऊँचाई पर स्थित,खूबसूरती देखने,आता सैलानियों का दल है।
ओक पेड़ों से घिरा सुरम्य गाँव औली, हिमालय की पर्वत माला है मनमोहन।
छत्रकुण्ड झील,नन्दा देवी उद्यान, ज्योर्तिमठ,कृत्रिम झील करती सम्मोहन।
प्रकृति सौंदर्य की गोद में बैठने, अल्मोड़ा की सुन्दर पहाड़ियाँ।
शहर से दूर,शान्तचित्त,बितायें गर्मी की छुट्टियाँ।
शान्त वातावरण का आनन्द लेने, चकराता चलते हैं।
पोस्टकार्ड आकार के घरों मैं रहें, पक्षियों की चहचहाहट का मजा लेते हैं ।
लैंसडाउन कैंपिंग ट्रैकिंग,नेचर वॉक के लिए लोकप्रिय ।
लैंसडाउन एक "छावनी शहर",शान्ति पाते भारतीय ।
किसी जन्नत से कम नहीं,है फूलों की घाटी
प्रकृति अनमोल छटा,कई रंगों में बिखराती।
विश्व में सबसे ऊँचाई पर बना, हेमकुण्ड साहिब गुरुद्वारा।
गुरु गोविन्दसिंह की तपोस्थली,यहाँ का प्राकृतिक सौंदर्य न्यारा।
सरजू गोमती संगम स्थल,बाघ्रनाथ शिव,बागेश्वर कहलाता।
नैसर्गिक सौंदर्य से सजी धरा,सरजू पर सेतु झूूलता।
टिहरी बाँध सबसे ऊँचा,भिलंगना, भागीरथी पानी का दोहन करता।
सबसे गहरा और बड़ा,"स्वामी रामतीर्थ सागर" बाँध नाम से जाना जाता।
नई टिहरी में अध्यात्मिक दिव्यता के लिए प्रसिद्ध शक्तिपीठ चंद्रबदनी मंदिर।
पहाड़ी चोटी पर स्थित,नाग देवता को समर्पित सेम मुखेम मंदिर।
लोकप्रिय पर्यटक आकर्षण,बर्फ से आच्छादित धनौल्टी।
सुरम्य हिल स्टेशन ,सबका ही मन मोहती।
चमोली गढ़वाल का जिला,किलो की भूमि है।
भगवान गणेश ने व्यास गुफा में, वेदों की लिपि लिखी है।
घने जंगलों से घिरा नीलकण्ठ मंदिर, भगवान शिव को समर्पित है।
मणीकूट,ब्रह्मकूट,विष्णुकूट की घाटियों बीच,पंकजा,मधुमति नदियों के संगम पर स्थित है।
पहाड़ों और मैदानों में बहती नदियाँ, सुंदर छटा बिखराये।
ऐतिहासिक चम्पावत के आकर्षक मंदिर,वास्तु शिल्प कला से जाने जाये।
भागीरथी नदी पर बसा,उत्तरकाशी हिंदू तीर्थ स्थल।
सैनिक छावनी का ग्राम ,नाम जिसका हरसिल।
यमुनोत्री गंगोत्री का प्रवेश द्वार है उत्तरकाशी ।
प्राचीन नाम शिव नगरी और उपनाम है सौम्या काशी।
कर्णप्रयाग में अलकनंदा,भिंडर नदियों का संगम है ।
नन्दप्रयाग में मन्दाकिनी,अलकनंदा का संगम है ।
रुद्रप्रयाग में मन्दाकिनी,अलकनंदा का संगम है।
देवप्रयाग में भागीरथी,अलकनंदा का संगम है ।
विष्णुप्रयाग में धौलीगंगा,अलकनंदा का संगम है।
उत्तराखण्ड तपस्वियों की भूमि, प्रकृति की छटा जहाँ अनुपम है।
चाहे वर्णन करूँ मैं कितना,शब्द पड़ेंगे कम हैं।