साक्षात देव है जीवन में,सर्वश्रेष्ठतम् महान।

विघ्नहर्ता,मंगल कर्ता,गजानन्द की करूँ उपासना,
कार्य शुभ करे गण देवा,प्रथम पूज्य शिव-गौरी ललना।
धन की देवी महालक्ष्मी से करती हूँ मैं प्रार्थना।
परिश्रम,लगन,सच्चाई जीवन में,मन में रहे ना वासना।
ज्ञान की देवी सरस्वती की करती हूँ आराधना,
निर्मल मन-बुद्धि पा जाऊँ,मीठे शब्द बोले रसना।
संगीतमयी झरने,नदियाँ,बादलों की गर्जना,
सागर सा गम्भीर हृदय हो,निज स्वार्थ की ना हो रचना।
नव जोश,नव उत्तेजना भरता,करती सूर्योपासना,
शीतलता प्रदान करती,शशि किरणों की ज्योत्सना।
तुलसी,पीपल,आम्र, आँवला,नाना वृक्षों की करें रचना।
प्राणवायु,औषधि,जीवनदाता,इनकी करें पालना।
प्रकृति की बनूँ पुजारिन,हर देव की करूँ उपासना।
ब्रह्मा,विष्णु,महेश जगत की,करते रहते संरचना।
मात-पिता,गुरु चरणों की, करती हूँ मैं वन्दना।
उन्नत हों कैसे जीवन में,ज्ञान की होती सर्जना।
नाना जाति नाना धर्म सब धर्मों की अपनी महिमा,
गीता,रामायण,बाईबिल,कुरान,सब ग्रन्थों की है गरिमा।
पशु-पक्षी,जलचर,नभचर,करें इनके गुणगान,
प्रत्यक्ष परोक्ष रूप से,देते हैं यह जीवनदान।
देश के रक्षक वीर जवान,अन्न उपजाते हैं किसान,
साक्षात देव है जीवन में,सर्वश्रेष्ठतम् महान।

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