“ज़िंदगी नन्हीं-मुन्हीं अभिलाषाओं का नाम,
ज़िन्दगी जीना सुबह और शाम,
ख़ुशी और गमी का खेल है ज़िन्दगी,
एक साथ कई रंगों का मेलजोल ज़िन्दगी।“
ये ज़िन्दगी का साथ है, ये ज़िन्दगी कुछ ख़ास है,
दें इसे दुलार हम, करें इसे सब प्यार हम,
ये लाख नियामत होती है,
खुशियों की आमद होती है,
जिएं हम हँसी-ख़ुशी, ये भी खुशियों को संजोती है,
दुःख-दर्द तो फिर भी आएंगे,
पल-पल तूफ़ान मचाएंगे,
कलरव होगा, कोलाहल होगा,
उन्माद न इसका हल होगा,
ये ज़िंदगी नरम तकिया नहीं है,
ये ज़िन्दगी कुनकुने पानी का चश्मा नहीं है,
ये ज़िन्दगी तो सर्द कंटीली राह होती है,
लेकिन शर्त यही है कि जहां चाह होती है, वहीं ज़िंदगी भी आबाद होती है,
ये ज़िन्दगी का साथ है,
कुछ आम है, कुछ ख़ास है,
ज़िन्दगी कदापि सुकोमल, सुपुष्ट, सुस्पष्ट नहीं होती,
फूल की महक और गमक के संग कंटीली तारों का बंधन है ज़िन्दगी,
यहां दुःख भी है और सुख भी है,
सरिता सा प्रवाह और मंदाकिनी-सा बहाव है ज़िन्दगी,
ब्यास की पावनता और तृप्ति का एहसास भी है ज़िन्दगी,
कहीं भूलें, कहीं प्रायश्चित,
कहीं इंतज़ार तो कहीं इंतकाम है ज़िन्दगी,
कहीं रिमझिम मेघों की फुहार है ज़िंदगी,
कहीं तपिश, कहीं सुकून,
कहीं मूसलाधार, कहीं रेगिस्तान है ज़िन्दगी,
निर्लज्ज, बेलगाम, सरपट भागती ज़िन्दगी,
चटपटी, अटपटी, अतरंगी, सतरंगी भी होती है ज़िन्दगी,
बेखौफ, नि:धड़क- सा अचूक प्रयास है ज़िंदगी,
माया,मोह, ममता, ईर्ष्या, घृणा,
सभी भावों का मिश्रित संयोग है ज़िन्दगी,
आशा की किरणों का मकड़जाल है ज़िन्दगी,
ये ज़िन्दगी नित सतत अनवरत चलती रहे,
यही समस्या और यही समाधान है ज़िंदगी,
आ एक बार फिर लौट के घर आ जा ज़िन्दगी,
बहुत दिनों के गिले-शिकवे उधार हैं ज़िन्दगी,
ये ज़िन्दगी का साथ है, ये ज़िन्दगी कुछ ख़ास है,
ये ज़िन्दगी का साथ है, ये ज़िन्दगी कुछ ख़ास है।