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“नया वर्ष है, आओ मिलकर इसको गले लगाएं,
पुरातनता को छोड़कर हम नए नए सुर गायें।“
छोड़ प्राचीन रिवाज़ों को थोड़ा-सा आगे बढ़ लो,
छोड़ पुरानी मान्यताएं, कुछ तो अब नवीन कर लो,
पुरातन वर्ष है बीत चला, नए का आगमन कर लो,
गिले शिकवे सभी भुलाकर, शत्रु का आलिंगन कर लो,
मित्रों को तुम गले लगाकर, वैर भाव को अब तो भुला लो,
नित नवीन प्रभात लिए, उज्ज्वल भविष्य की नींव तुम धर लो ,
नया वर्ष है, नया हर्ष है, नया उल्लास, नई ऊर्जा, नई स्फूर्ति है,
जो बीत गयी सो बात गयी है, अब नवजीवन का स्वागत कर लो ।
पुराने साल के दुःख और दर्द ,जो घाव दे गए ,टीस दे गए,खीज दे गये,
उनसे कुछ-कुछ प्रेरित होकर नव वर्ष अभिनन्दन कर लो,
कोरोना काल, भूचाल, आंधी, तूफ़ान,
बाढ़ या सीमा पार की हाहाकार,
आये सभी, रहे सभी और चले गए सब,
अब तुम अपने देश की खातिर, साहस का दम ख़म
कुछ भर लो,
युवा पीढ़ी जो अटक रही है, ‘धुंए’ से जो धधक रही है,
फैशन युग में भटक रही है,
उन सबको तुम समझाओ अब, उनको अपने साथ में लेकर ,
देश का मंगल गान तुम कर लो,
युवा वर्ग का साथ और सबका विकास ही जिनका सपना,
कुछ कुछ अपना, कुछ कुछ सबका,
उन सपनों को पंख लगाकर,गगनचुम्बी उड़ान तुम भर लो,
अपने देश में नारी जाति आज भी लगती नहीं सुरक्षित,
शिक्षा की तुम अलख जगाकर चहुँ और उजियारा कर दो,
पुरानी रस्मों को तुम तोड़, नित नवीन, सरस, सलिल सरिता भर दो,
आओ! करें नव वर्ष का जोरों-शोरों से अभिनन्दन,
बच्चे, युवा, महिला या वृद्ध हों,
आओ! सभी आगे बढ़-चढ़कर आगामी वर्ष का हृदयंगम कर लो,
आगामी वर्ष का हृदयंगम कर लो।

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