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आजकल के इस बदलते माहौल को देखते हुए ये कहना कटु सत्य है कि बेजुबान जानवरो की सुध लेने वाले कुछ ही गिनती के लोग है। अन्यथा सभी उन्हे दुत्कारते है पास आने पर लाठी डंडे से उनकी पिटाई करते है। कुछ तो लोग ऐसे भी है जो मानवता के नाम पर कलंक है जो इन बेजुबान जानवरो को कठोर यातना तक देते है। मैं अपने लेख के माध्यम से सभी लोगो को यह कहना चाहूंगा की जानवरो से भी प्यार करो। वो भी प्यार के भूखे है। उन्हे खाना मिले या न मिले परंतु प्यार यदि मिल जाए तो वो सबकुछ भूल जाते है। वैसे तो मानव सभी जीव जानवर के निर्दयता के भाव प्रकट करता है। परंतु एक जानवर है जिसका आदमी खूब काम लेता है और जब वह काम करने, या मानव की इच्छा पूर्ति के लिए नहीं रहता है तो उसे इधर उधर भटकने के लिए बाहर छोड़ दिया जाता है। हमने बचपन से गाय के बारे में सुना पढ़ा और ऐसा कोई शख्स नही होगा जिसने गौमाता के बारे में लेख नही लिखा होगा। गाय ऐसा सरल जीव से जो किसी को कोई परेशान नहीं करता। जब में देखता हू बाजार में, सड़क पर, गलियों में गौमाता को बैठे हुए या कूड़े कचरे के ढेर में कुछ खाते हुए तो मन कुंठित हो जाता है। गौवंश हमारे लिए बहुत पवित्र है। इनका दूध पीकर ही हम बड़े हुए। तो फिर ये बेरुखी क्यू? मेरा लेख लिखने का आशय ये है कि आप गायों को सड़क मोहल्ले में न छोड़कर उसे किसी गौशाला में पहुंचा दो बहुत ही पुण्य मिलेगा। ये भी सत्य की जो चीज काम करना बंद कर दे तो उसे एक तरफ कर दिया जाता है। परंतु गौमाता भी हमारी आपकी तरह जीव है। एक समय की बात है। जब में रास्ता में जा रहा था तभी ही अचानक मैंने देखा की एक गाय रास्ते में लेटी हुई है। बेहोश है मुंह से झाग निकल रहे है। लोगो की आसपास भीड़ लगी है। कोई गाय के मुंह पर पानी डाल रहा है। तो कोई गाय की पूछ मरोड़ कर उसे उठाने का प्रयास कर रहा है। मैने जब देखा की उसकी स्थिति बहुत गंभीर है। और अगर मानो कुछ न किया तो थोड़ी देर में मर जायेगी। मैने किसी व्यक्ति से पूछा कि यह कही आसपास पशु चिकित्सालय है क्या? उसने जवाब दिया कि पास में है। जिस गाय को हम कामधेनु की तरह मानते है। गौमाता की पूजा करते है। उसको मैं ऐसे कैसे मरने के लिए छोड़ दू। मैने पास ही खड़ी एक ठेला गाड़ी को मंगवाया। फिर आस पास के लोगो से थोड़ा हाथ लगाने की कहा और गाय को ठेला गाड़ी में चढ़ाया फिर पशु चिकित्सालय लेकर गया। डॉक्टर साहब ने देखते ही गाय के मुंह में हाथ डाला और एक बड़ी सी पॉलिथीन का टुकड़ा गाय के मुंह से निकाला। मानो निकलते ही गाय होश में आ गई। पालीथीन फसी होने के कारण वो सास नही ले पा रही थी। अगर थोड़ी देर और हो जाती तो गाय मर भी सकती थी। कुछ समय पश्चात जब गाय को होश आया तो लड़खड़ा का धीरे धीरे उठने लगी और फिर धीरे चलकर बाहर निकल गई। मैं भी बहुत खुश था कि मैंने एक बेजुबान जानवर की जान बचाई। परंतु एक बात कहना चाहुंगा मित्रो पालीथीन पर्यावरण के लिए अमिशाप है। इसका उपयोग बंद करे। बेजुबान जानवरो से प्रेम करे। ये प्रेम के भूखे है।

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