एक समय की बात है। एक गांव में पिंकू और उसका परिवार रहता था। पिंकू जब पैदा हुआ था तब ही थोड़े दिन बाद ही डॉक्टर ने उसके माता पिता को उसकी शारीरिक कमी के बारे में बता दिया था। कि आपके बच्चे की शारीरिक वृद्धि रुक जायेगी। और ऐसा ही हुआ उसकी उम्र बढ़ रही थी। परंतु कद काठी नही बढ़ रही थी। वो बौना ही रह गया था। उसके माता पिता ने शहर के सभी डॉक्टर को दिखाया पर किसी का इलाज काम न आया। अंत में उन्होंने भी हार मान ली। और ईश्वर की यही इच्छा है यह मानकर समय गुजार रहे थे। समय बीता पिंकू की उम्र भी बढ़ रही थी। पिंकू भी अपने कद को देखकर बहुत उदास होता और कभी कभी तो रोने लगता। उसके माता पिता भी ये देखकर बहुत दुखी होते। पिंकू के माता पिता ने सोचा कि पिंकू का दाखिला गांव के किसी स्कूल में करवा दे तो उसका भी स्कूल में मन लगा रहेगा। एक दिन उसको माता पिता स्कूल लेकर चले गए। वहा सभी छात्र उसको देखकर घूरते रहे और हसने लगे। तभी मास्टर जी ने सभी छात्रों को डाटा। और मास्टर जी पिंकू और उसके माता पिता को स्कूल के कार्यालय में लेकर गए। मास्टर जी ने उसका दाखिला स्कूल में कर लिया। उसके माता पिता थोड़े खुश हुए। परंतु पिंकू अभी भी उदास और घबराया हुआ था। वो डर रहा था कि सभी बच्चे उसके साथ मजाक करेंगे कोई उसके साथ खेलेंगे भी नही। तब भी वह मन को मारकर स्कूल गया। ऐसा ही हुआ। सभी बच्चों ने उसका खूब मजाक बनाया। कोई उसके साथ खेलने को भी तैयार नहीं था। वह चुपचाप अकेला ही अपनी कक्षा में बैठकर सभी बच्चों को खेलता और बाते करके देखता और रोता रहता। फिर मास्टर जी आते और उसे दिलासा देकर चुप करवाते। कुछ दिन पिंकू स्कूल गया। फिर थोड़े दिन बाद स्कूल जाने के नाम से कतराने लगा। उसी बीच बीमार भी हो गया। बहुत दिनों तक स्कूल भी नही गया। उसने माता पिता को सारी बात बता दी कि उसका स्कूल में मन नहीं लगता। जितना हो सकेगा वो घर पर पढ़ाई कर लेगा। उसके माता पिता भी उसकी बात मान गए। अब पिंकू घर में ही अपने कमरे में रहने लगा।

एक दिन एक मदारी गांव में आया। वो गांव गांव जाकर अपना मजमा लगाता और लोगो और बच्चो को खेल दिखाता था। उसके पास छोटे छोटे दो बंदर और बंदरिया का जोड़ा था। जो करतब दिखाता। कभी रस्सी पर चलकर कभी डमरू की आवाज पर नाचकर सभी दर्शकों का मनोरंजन करता। मदारी की जो भी कमाई होती उससे वह अपना और बंदरों का गुजारा कर लेता। तभी मदारी पिंकू के मोहल्ले आया उसने अपना डमरू बजाया। तभी पिंकू के मन में मदारी के करतब देखने की इच्छा जागी। पिंकू ने मां को बताया तो मां भी खुश हुई और पिंकू को मदारी का खेल देखने ले गई। पिंकू ने सारा खेल देखा बंदर और बंदरिया को रस्सी पर चलते देख पिंकू ने भी बहुत ताली बजाई। उस दिन उसके चहेरे पर अलग ही खुशी थी। ये सब देखकर उसकी मां भी बहुत खुश हुई। मदारी का खेल खत्म हो चुका था। सारी भीड़ मदारी को इनाम देकर अपने घर जा चुके थे। परंतु पिंकू और पिंकू की मां अभी भी वही खड़े थे। मदारी अपना सामान समेट ही रहा था कि पिंकू की मां मदारी के पास आई उन्होंने पिंकू के बारे में सारी बात बताई। और मदारी से कहा यदि आप पिंकू को अपने साथ रखे और इसे ये सभी करतब सिखाए तो जीवन में इसके आगे बढ़ने का कोई रास्ता तो मिल जायेगा। और ये अपना भरण पोषण कर पाएगा। पिंकू की भी यही इच्छा थी। वो भी मन ही मन यही सोच रहा था। मदारी ने थोड़ा सोचकर पिंकू की मां की बात स्वीकार कर ली। पिंकू को अपने साथ लेकर जाने और करतब सीखने को तैयार हो गया। पिंकू भी बहुत खुश था। अब मदारी पिंकू को अपने साथ हर खेल में साथ रखने लगा। पिंकू को भी उसके इच्छा अनुसार काम मिल गया। वह रस्सी पर चलना, रिंग में से निकलना और बाकी सभी करतब सीख गया। पिंकू के करतब देखकर सारी भीड़ बहुत ताली बजाती और उसे इनाम देती। समय बीतता गया पिंकू अब सब करतब सीख गया। खुद से ही सारे करतब करने लगा लोगो की वाह वाही लेने लगा। थोड़े दिन बाद मदारी पिंकू को लेकर उसके घर आया। पिंकू बड़ा खुश था। मदारी ने उसको सारे करतब सीखा दिए थे। मदारी ने उसके माता पिता को कुछ पैसे दिए कि ये पिंकू का इनाम है। जो उसने करतब दिखा कर दर्शकों से इनाम के रूप में प्राप्त किए है। मदारी बोला जब भी पिंकू की इच्छा हो तब मेरे साथ काम करने आ जाए मैं इसे अपने साथ रख लूंगा। मै अभी दूसरी जगह करतब दिखाने जा रहा हु। पिंकू अपने माता पिता को करतब दिखाने लगा। माता पिता और पिंकू बहुत खुश थे। तभी अचानक पास ही शहर में एक प्रसिद्ध सर्कस आया। पिंकू के माता पिता भी उसको सर्कस दिखाने ले गए। पिंकू ने देखा की यहां पर जो कलाकार करतब करते है वो सब पिंकू जानता है। पिंकू के माता पिता सर्कस के मालिक से मिले और पिंकू को सर्कस में भर्ती करने की बात कही। सर्कस के मालिक ने पिंकू के करतब के बारे सुन अपनी रजामंदी दे दी। अब पिंकू सर्कस में ही रहने लगा। अपने नए नए करतब से दर्शकों का खूब मनोरंजन करता। पिंकू ने धीरे धीरे अपने करतब से दर्शकों के दिलो में जगह बना ली। सभी दर्शको की जुबां पर बौने पिंकू का नाम से रहने लगा। जैसे ही सर्कस शुरू होता दर्शक करतल ध्वनि से पिंकू का स्वागत करते। उसके करतब देख दांतो तले उंगली दबा लेते। खूब खुश होते ताली बजाते। बच्चों का तो सर्कस का सबसे प्यारा हीरो बन चुका था पिंकू। सर्कस का मालिक भी उसके करतब को देखकर बहुत खुश था। और पिंकू के काम का उचित मेहनताना देता। समय निकलता गया। पिंकू के पास काम और पैसा दोनो बहुत थे। सबसे बड़ी बात ये है कि उसका बौनापन कभी उसके कभी भी उसके काम के बीच नही आया। सर्कस में आने के बाद उसका जीवन ही बदल गया

इस कहानी से ये सीख मिलती है। कि अपनी कमजोरी को अपने ऊपर हावी मत होने दो, हो सकता है एक रास्ता बंद है तो दूसरा खुल जाता है। आप में यदि हुनर है तो कद काठी मायने नहीं रखती। अपने आप को उस क्षेत्र में लाओ जिसमे आपका मन लगता हो। जैसा पिंकू ने किया। और सफलता के शिखर कर छुआ। इंसान की कमजोरी ही उसे ताकतवर और सफल बनाती है।

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