एक पेड़ और लगाओ
वसुंधरा को सुंदर बनाओ।
आभूषण है ये धारा के
जीवन को सुंदर बनाओ
हरियाली जब छा जाएगी,
धरती स्वर्ग सी कहलाएगी।
ठंडी छाया ये देगा,
मीठे फल भी ये देगा।
चिड़ियों का बसेरा होगा,
खुशियों का सवेरा होगा।
पेड़ हैं धरती के फेफड़े,
साँस हमारी इन्हीं से।
अगर ये कटते जाएँगे,
हम कैसे जी पाएँगे?
आओ मिलकर प्रण करें,
हर वर्ष की भांति ,
कुछ पेड़ लगाएँ ,
सभी मिलकर पर्यावरण दिवस मनाए
एक पेड़ नहीं, दस पेड़ लगाएँ।
प्रकृति का सम्मान करें,
जीवन को हम सफल बनाएँ।
पवन कुमार शर्मा कवि कौटिल्य।