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शिव पार्वती के दाम्पत्य जीवन को बताता है ।
शिव देते वरदान गौरा
गौरा पूजी जाती है
ईसर पूजे पार्वती बस यही पंक्ति याद आती
दाम्पत्य जीवन में खुश रखने के लिए ही गणगौर मनाई जाती है ।
वर्षो से हमारे प्रदेश में गणगौर की सवारी निकाली जाती है
इस दिन सोलह अंक का महत्व बहुत ज्यादा है ।
कर सुहागिन सोलह सिंगार, पार्वती के सोलह गीत गुनगुनाती है
रहे हमेशा सोलह साल की सुंदर काया
नजर ने लगे इसलिए सोलह काजल की टिकी दीवार पर लगाती है ।
शाम को विदाई गीत गाकर गणगौर माता को विदा किया जाता है
गणगौर घाट पर उत्सव मनाया जाता है ।
अगले वर्ष भी ऐसे ही सजने संवरने का वरदान लिया जाता है ।
शिव पार्वती जोड़ी हो उनकी सुखद दाम्पत्य जीवन संग संग बिताए ,
गणगौर मैया से हमेशा यही वरदान पाए
आओ गौरा को ध्याए,
गणगौर मनाए ,
हमारे प्रदेश में गण गौर का त्योहार बड़ा खास है ।
सभी सुहागिन पर कृपाकीजे
ईसर पार्वती जैसी जोड़ी दीजे

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