ज़िंदगी की राहों में, ये कैसे अफ़साने मिले,
कुछ ग़म के साए थे, कुछ मुस्कुराने मिले।
ये जहान एक तमाशा है, हर नज़ारा नया,
कहीं उल्फत की बातें, कहीं बेगाने मिले।
दिल की तमन्ना थी कि हर लम्हा हो पुर-कैफ़,
मगर वक्त के हाथों, कुछ अफ़सोस भी पाने मिले।
ये हसरत है कि हर सुबह हो रौशन और पाक,
कभी शाम उदासी की, कभी महफ़िल सजाने मिले।
हर आरज़ू तो मुकम्मल हो, ये मुमकिन तो नहीं,
मगर कोशिश में हरदम, नए इम्कान बनाने मिले।