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किसने सोचा ऐसा कोरोना काल आयेगा ।
किसने सोचा ऐसा कोरोना काल आयेगा ।
मजदूर होगा मजबुर खाने को तरस जायेगा ।
दो जून की रोटी कमाने की खातिर जान बचाना भारी पड़ जाएगा।
किसने सोचा ऐसा कोरोना काल आयेगा ।
देश होगा लोकडाउन सारे शहर में सन्नाटा छा जायेगा।
हर आदमी घर पर बैठा रह जायेगा।
बाहर जाने को तरसेगा हर आदमी ।
बाहर निकला तो पुलिस के डंडों की भेट चढ़ जायेगा ।
किसने सोचा ऐसा कोरोना काल आयेगा ।
कोरोना वीर गलिया गलिया घूमेंगे।
कुछ लोग उनको समझ ना पाएंगे उन पर ही डंडे लाठी बरसायेंगे।
जान बचाने वाले को अपनी जान बचाना भरी पड जायेगा ।
किसने सोचा ऐसा कोरोना काल आयेगा ।
पर ये बात समझ लो मेरे भाई, अगर करनी है कोरोना से आर पार की लड़ाई ।
करो सम्मान कोरोना वीरो का
निकालो घर से मास्क लगाओ सामाजिक दुरी अपनाओ ।
साबुन से हाथ धुलवावो।
कोरोना तो क्या कोई भी रोग मेरे भारतवासी को छू नही पायेगा।
स्वस्थ होंगे हम सभी देश वापस मुस्कुराएगा।
किसने सोचा ऐसा कोरोना काल आयेगा ।
पुरे देश का आर्थिकतंत्र बिगाड़ जायेगा।
किसने सोचा ऐसा कोरोना काल आयेगा ।
मजदुर होगा मजबुर खाने को तरस जायेगा।
करता है अपील पवन कुमार भारतीय बनो,
भारतीय वस्तु का उपयोग करो,
आत्मनिर्भर बनो,
स्वदेशी अपनाओ विदेशी भगाओ।

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