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एक अतिसुंदर सी मनमोहनी का हुआ दीदार,
पहली नज़र देखते ही हो गया था प्यार,
उसकी सुंदर सी आंखों में डूबने को तैयार,
उसका गुलाबी चेहरा खिल रहा था।
रोशनी की चकाचौंध सा चमक रहा था।
जैसे ही उसने काजल सी काली रेशमी जुल्फें बिखराई ,
अब तो मानो लगा यूं जैसे सावन में काली बदली घिर आई,
उसके गुलाबी लबों पर थी लाली,
ऐसे लगते होठ जैसे सागर में मोती,
बात कहने का अंदाज तो और भी उसका निराला था।
दिल दे बैठा उसको , अब आगे राम जाने क्या होने वाला था।
जैसे ही वो मुस्कुराई , वफा में डूब सा गया
उसके स्वप्नों में खो सा गया।
न दिन को चैन आता , न आती रातों को नींद
उसे पाने को में भी था बेकरार ,
बस अब तो था उसकी हामी का इंतजार ,
यही बनेगी मेरी अर्धगिनी , शादी करने को मैं भी हो गया तैयार,
मां पिताजी को किया अपनी प्रियसी के लिए तैयार,
पहुंच गया के उनको लेकर उसके घर द्वार,
फिर क्या अपनी सगाई की बात आगे बढ़ाई
अब तो चट मंगनी पट ब्याह पर बात आई
दोनो ने सहमति खुशी खुशी शादी रचाई
और क्या तब से आज भी दोनो रहते साथ
एक दूसरे से बहुत शांति और सादगी और प्रेम से करते बात
न होता कोई झगड़ा न होती तकरार,
बस हम दोनो आपस में करते है बहुत प्यार,
जो सोचा वही चाहा , वही पाया जीवन जीने का आनंद आया।
वेलेंटाइन का सुंदर गिफ्ट मेरी पत्नी के रूप में पाया।

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