एक समय की बात है। किसी गांव में एक किसान परिवार रहता था। परिवार में सभी खुश थे। लोगो के जीवन यापन हेतु खेती और जंगलों पर ही निर्भर रहना पड़ता था। गांव में ज्यादा सुख सुविधाओं का अभाव था। गांव में प्राइमरी स्कूल था। जिसमे गांव के सभी बच्चे अपनी शुरुवाती शिक्षा ग्रहण करते थे। गांव में सब मिल जुलकर रहते थे। सभी एक दूसरे लोगो के एक दूसरे के सुख दुख में हमेशा भागीदार रहते थे। गांव के पास जंगल भी था। जंगल में बहुत से जंगली जानवर भी थे। पर कोई भी जानवर किसी भी ग्रामीण को परेशान नहीं करता था। शहर से थोड़ा पास होने के कारण कुछ लोग सप्ताह के अंत में अधिकतर घूमने आते और जंगल में घूमते और झरने में नहाते और जानवरों को देखते और चले जाते। परंतु कुछ लोग थोड़े लापरवाह थे। वो खाने के बाद सारा कचरा वही फेंक जाते। गांव के लोग उन्हे कुछ बोलते तो बातो को अनसुनी कर देते। कचरे में ज्यादातर प्लास्टिक थेलिया होती थी। जिसमे वो सभी समान लाते थे। ये सिलसला चलता रहा। वही गांव से सभी पुरुष और महिलाएं जंगलों में जलाने के लिए लकड़ी लेकर आते। बात एक दिन की है जब कुछ दोस्तो के साथ रामू जंगल में घूमने गया। जब रामू और उसके दोस्त जंगल में घूम रहे थे। तभी अचानक एक हिरण का बच्चा अचेत अवस्था में जमीन पर लेटा हुआ था मानो अपनी अंतिम सांस गिन रहा हो अपने प्राण पखेरू उड़ने का इंतजार कर रहा हो। रामू ने हिरण के बच्चे को देखा तो हैरान रह गया और तुरंत उस जगह पहुंच गया। रामू ने अपने एक दोस्त से पास वाले झरने से पानी लाने को कहा उसने देखा कि क्या करे कैसे हिरण के बच्चे की जान बचाए तभी रामू ने देखा की हिरण के बच्चे के गले में एक पालीथिन फंसी हुई थी जिससे उसको सांस लेने परेशानी हो रही थी। पालीथिन का एक मुंह बाहर निकला हुआ था। तभी रामू ने उस पालीथिन का किनारा पकड़ कर हिरण के बच्चे के मुंह से धीरे से बाहर निकाला। हिरण के बच्चे के जान में जान आई और तब तक रामू का दोस्त पानी ला चुका था। सभी ने मिलकर हिरण के बच्चे को पानी पिलाया। कुछ देर बाद हिरण का बच्चा खड़ा हुआ और जंगल की और धीरे धीरे चला गया।
पर रामू के दोस्त ने बताया कि शहर वाले लोग आकर यहां पर प्लास्टिक, बॉटल्स, और पालीथिन जंगल में यही कही फेंक देते है। जो की हवा से उड़कर झरने के किनारे पर बहुत सी प्लास्टिक, पालीथिन बहुत सा कचरा इकठ्ठा हो जाता है।
रामू के सभी दोस्तो को बहुत गुस्सा आया। और उन्होंने सोचा हमे पर्यावरण और जीव जंतुओं के लिए कुछ करना चाहिए।
रामू के दोस्तो ने सभी गांव वालो को बुलाया और इस घटना के बारे में बताया। गांव के मुखिया जी ने सभी की बात सुनी फिर अंतिम फैसला किया कि अगर हमे पर्यावरण को बचाना है तो हमारे पर्यावरण को जो वस्तुएं प्रभावित करती है, उन्हे बंद करना चाहिए।
मुखिया जी ने जंगल को प्लास्टिक मुक्त क्षेत्र बनाने के प्रयास में लगे। रामू और उसके दोस्त सभी शहर वालो को प्लास्टिक का उपयोग न करने की बाते समझाते। धीरे धीरे यह एक अभियान शुरू हो गया।
सारा जंगल प्लास्टिक मुक्त हो गया। अब जंगल में अच्छी साफ सफाई रहती है।
प्लास्टिक का नामोनिशान भी नही रहा। उस दिन के बाद ऐसी कोई घटना की पुनरावृति नही हुई।
ये बात गाव में आग की तरह से फैली सभी ग्रामीणों ने रामू की सूझबूझ की बहुत तारीफ की और जिले के कलेक्टर साहब द्वारा रामू को सम्मानित किया गया।
रामू और उसके सभी दोस्तों , सभी ग्रामीणों को पर्यावरण मित्र का प्रमाण पत्र दिया गया और कलेक्टर साहब के आदेश पर सभी शहर के लोगों को प्लास्टिक औऱ पालीथीन काम मे ना लेने की शपथ ली।
इस कहानी से ये शिक्षा मिलती है कि प्लास्टिक और पालीथिन पर्यावरण प्रदूषण का मुख्य कारण है। इसे तुरंत बंद करना चाहिए और जन जागरूकता अभियान चलाया जाना चाहिए।