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हर वर्ष हम रावण जलाते है।
और हम सभी दशहरा मनाते है।
हर वर्ष रावण हो जाता है जिंदा,
दशानन के दस सिर हो जाते है प्रकट
मुझे तो अब तक यही समझ आया
जब तक ना मारेंगे हम अहम, अहंकार, द्वेष, काम, क्रोध,मध, लोभ, आपस में लड़ाई, मनमुटाव और निर्दयता को तब तक रावण जलता रहेगा।
अगर करना है खत्म रावण को
अपने अंदर की बुराई मिटाओ
करो प्रेम आपस में , सद्भाव की पाठ सिखाओ
खुश रहो हमेशा जीवन में
भाईचारे की महक फैलाओ
करो परोपकार , दूसरो को तरक्की में
सहयोग करो उसे आगे बढ़ाओ
बहुत आनंद और शांति मिलेगी
दशहरा का असली अर्थ समझ आयेगा।
भगवान राम के आदर्शो पर चलकर
हमारा देश आगे बढ़ता जायेगा।

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