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नहीं चाह कुछ पाने की,
नहीं चाह कुछ खोने की,
बस चाहता हूँ एक सुकून
जिसे हासिल होने की।

जिंदगी में रूप-रंग तो हैं,
मगर दिल का सच्चा रंग कुछ और है,
खुशी की पुकार तो सबको आती है,
मगर खुशी का सच्चा मायना कुछ और है।

हम तो अक्सर बस पाने की भीड़ में खो जाते हैं,
पर सच ये है कि खोने के बाद ही हम असली मंजिल पाते हैं।

समझ में नहीं आता जो खोने से डरते हैं,
उन्हें क्या पता है कि खोने के बाद क्या पाते हैं।

नहीं चाह कुछ पाने की, नहीं चाह कुछ खोने की,
बस चाहता हूँ एक सुकून जिसे हासिल होने की।

समझ में आएगा जब तक कि नहीं चाह कुछ पाने की,
वो सुकून कहाँ तक ले जाती है ये ज़िन्दगी के रास्तों पर चलते हुए,
और कैसे हम समझते हैं
कि हमें वही सुकून हासिल होने की ज़रूरत है।

नहीं चाह कुछ पाने की,
नहीं चाह कुछ खोने की,
बस चाहता हूँ एक सुकून
जिसे हासिल होने की।

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