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आजकल के समय वृद्धजनों को बहुत अलग अलग दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। जिनमें से कुछ प्रमुख है जैसे अकलेलापन ,कोई बीमारी, अनिद्रा एवं चिंता भविष्य की, ये आजकल हमारे समाज की बहुत बढ़ी समस्या बनती जा रही है। जबकि हमलोग ऐसे समाज का हिस्सा है जहां पर हम सभी हमारे बुजुर्गो का सम्मान और उनके पद चिन्हों पर चलने का अनुसरण किया करते है। सभी वृद्धजन हमारे पूजनीय होते है। उन्हीं से प्रेरणा लेकर हम लोग अपने जीवन में आगे बढ़ते है। जीवन में सफल होते है। परन्तु आज के परिवेश में और पाश्चात्य संस्कृति के अपनाने के चक्कर में हम सब भूल चुके है। बुजुर्गो को समय नहीं दे पाते लोग आजकल माता पिता का सम्मान ही नहीं करते तो अपने बुजुर्गो का सम्मान तो बहुत बड़ी बात है। कभी भी लोग ये नहीं सोचते कि हमारे ऐसा करने से उनके दिल पर कितना अघात लगेगा वो कैसा महसूस करेंगे। मेरा ये लेख उन्हीं वृद्धजनो के सम्मान में है। समय और परिस्थिति कैसी भी हो हमे हमेशा वृद्ध जनों की सेवा के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए। क्योंकि वृद्ध अवस्था में हमारे बुजुर्ग भी बहुत सी समस्या का सामना करना पड़ता है जैसे बढ़ती उम्र के साथ उनकी याददाश्त कमज़ोर होने लगती है। शरीर कमजोर होने लगता है। और अलग अलग बीमारियों से सामना करना पड़ता है। उससे भी ज्यादा मृत्यु का भय क्योंकि एक दिन तो हर किसी को संसार से जाना ही है। ऐसे माहौल में यदि लोग बुजुर्गो को प्रताड़ित करते है तो वो लोग बहुत बदनसीब है। बुजुर्गों को क्या चाहिए, कोई उनसे प्यार से बात करे, उनकी बात समझे उनके साथ वक्त बिताए और उनकी भावनाओं को समझे कि वो हमसे क्या कहना चाहते है। हमारा कर्तव्य बनता है। जो लोग ऐसी मान्यता को मानने वाले होते है उन लोगो को समझाना किए कि बुजुर्ग हमारी धरोहर है। उन्हें हर हाल में खुश रखना हमारा प्रथम कर्तव्य है। वो खुश रहेंगे तो परिवार भी खुश रहेगा। उन्हें हमेशा किसी भी चीज की परेशानी नहीं होना चाहिए। 

इसी प्रकार जब कोई वरिष्ठ नागरिक दफ्तर, बैंक और अस्पताल में जाते है तो उन्हें हमेशा पहले महत्व देना हमारा कर्तव्य है जब भी कोई वरिष्ठ नागरिक हमारे हॉस्पिटल में आता है तो उन्हें बड़े सौहार्द पूर्वक हमे स्वागत करना चाहिए। उनकी समस्या पूछनी चाहिए। जहा भी जिस विभाग में उनको जाना है। साथ में छोड़कर आना चाहिए। ऐसे वरिष्ठ नागरिकों के प्रति हमारा भी दायित्व बनता है यदि हम आगे बढ़कर सहयोग करते है तो उन्हें भी अपनेपन का अहसास होता हैं ,हमारे द्वारा दी गई सेवा से वो बहुत प्रसन्न और खुश हो जाते है। वो भी उनकी समस्या बताने में अपने आप को सुरक्षित महसूस करते है। दोस्तो अंत में यही कहना चाहूंगा कि हमेशा वृद्ध जनों का सम्मान कीजिए और ऐसे लोगो की मानसिकता बदलने में सहयोग करे जो अपने आप को बहुत सेवाभावी और सामाजिक मानते है परंतु वृद्धजनों की सेवा में थोड़े पीछेरह जाते है। और हमेशा बुजुर्गो कि सेवा के लिए तत्पर रहेl

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