सबसे पहले हमको ये समझना होगा, कि आखिर ये टैबू होता क्या है ?
टैबू एक जानी पहिचानी, और एक प्रचलित अवधारणा है,, किसी अधिकार प्राप्त या ताकतवर वर्ग द्वारा, जबरन थोपा गया, और सबसे शक्तिशाली लालसाओं, अपेक्षाओं ,के विरुद्ध निर्देशित किया गया है, जो पूर्ण रूप से मनुष्य के अधीन है।
"टैबू' जिसे हम वर्जना भी कह सकते हैं, एक सांस्कृतिक भावना के आधार पर, किसी चीज के प्रति निहित," निषेध'' है .,,
अत्याधिक प्रतिकारक भी हो सकता है,
या आम लोगों के लिये प्रवित्र भी । -
"वर्जित" शब्द सामाजिक विज्ञान में, कुछ हद तक, मानव_
गतिविधियों या रिवाज के किसी भी हवा ले से,, मजबूत प्रतिबन्धों के लिये ही, विस्तारित किया गया है ।
"वर्जना"किसी गतिविधि को करने,, या विषय विशेष पर चर्चा करने से लोग अकसर बचना चाहते हैं , क्योंकी लोग इसे आपत्तिजनक और शर्मनाक समझते हैं । ये एक सामाजिक प्रथा है।
"टैबू" एक पौलीनेशियन शब्द है, इसका मतलब "निषिद्ध" होता है ' ।
इस प्रकार निषेध एक निषेध है। इसकी अवज्ञा करना अपराध ही नहीं अपितु एक महा पाप होता है। इसलीये समाज या राज्य उसे दण्ड नहीं दे सकता, लेकिन उसकी अन्तर आत्मा में चुभन जरूर होती है, फिर भी निषेध की शक्ति कानून की शक्ति से जिआदा है ।
मनुष्य कानून से इतना नहीं डरता जितना कि वर्जना के पीछे छिपी , अमूर्त शक्ति से ।
कानून के पीछे राज्य की शक्ति होती है, और वर्जनाओं के पीछे धर्म की,, ।
इसलीये वर्जनाओं को अधिक सख्ती से देखा जाता है , इनका यथोचित पालन नां करने से, देवी देवताओं का प्रकोप झेलना पड़ता है। टैबू एक तरह से देखा जाय तो, जादू का ही हिस्सा है। मजूमदार और मदन जी, जो समाज शास्त्री हुए हैं, उनके अनुसार, जादुई मान्यताओं , रीति रिवाज, और प्रथाओं का ताना बाना, सकारात्मक और नकारात्मक किस्मों से बुना हुआ है, ये वर्जित बाद में है, इसका उद्देश्य कई गुणा, उत्पादक, सुरक्षात्मक, एवं निषेधात्मक है। अभी तक इस आलेख में , हमने ये समझने का प्रयास किया, कि आखिर, टैबू होता क्या है ?
अब हम टैबू को उददरण से समझेंगे ।
व्यभिचार - अपने जीवन साथी के अलावा किसी और के साथ संभोग करना, एक महिला से उसकी उम्र पूछना । आम तौर पर किसी महिला की उम्र पूछना, मर्यादा की सीमा को तोड़ना माना जाता है। -
पाशविकता - मनुष्य और पशुओं के बीच योन सम्बन्ध ।आज के युग में ये टैबू प्राय द्रष्टिगोचर होता है।
कट्टरता - पूर्वा ग्रह और दुराग्रह के आधार पर, एक दूसरे के प्रति असहिष्णुता ।
नरभक्षण - एक इंसान दूसरे इन्सान का मांस भक्षण कर रहा है। पौराणिक युग में भी इसका वर्णन मिला है। जब हनुमान जी, मां सीता का पता लगाने लंका गये थे, और एक मक्षिका का रूप धारण कर , सीता मां को खोज रहे थे, उन्होंने पाया कि रावण की रसोई में, मनुष्य का मांस पकाया जा रहा था । आचार्य चतुर सैन के महाकाव्य वयं रक्षाम में इसका उल्लेख किया गया है।
गर्भावस्था के दौरान मदिरापान करना - देखा गया है कि इतनी नाजुक अवस्था में भी,, महिलाएं मदिरा का सेवन करती हैं ।
अनाचार - करीबी रिश्तेदारों के बीच यौन पिपासा की पूर्ती करना ।
शिशु हत्या - अकसर देखा गया है ,, कि मासूम बच्चों की गर्भ में या गर्भ के बाहर,, निर्मम हत्या कर दी जाती है।
अन्तर विवाह - ये जानते हुए कि रक्त और दूध एक है,, समान है,, फिर भी विवाह कर लिया जाता है।
मातृ हत्या - कई बार ऐसी घटनाएं देखने को मिलती है, कि बेटे नें,, अपनी मां को मार दीया,, अपने पिता को मार दीया, देखने सुनने में बड़ा ही अजीब सा लगता है।
नेक्रोफीलिया - एक लाश के साथ , योन आकर्षण होना,, यहां तक कि उसके साथ संभोग भी करना,, कितना जघन्य है,, आप सोच भी नहीं सकते ।
आत्म हत्या - जरा से भावावेष में फंसकर , जानबूझ कर अपनी स्वयं की हत्या कर लेना ।
दासता - मनुष्य को अपनी निजी सम्पत्ती समझ बैठना,, लोगों को बन्दी बनाना,, और उन्हें बिना वेतन , काम करने के लिये मजबूर करना ।बड़ा ही दुर्भाग्यपूर्ण है।
लिंगवाद - ये मानना कि एक लिंग विशेष के लोग,, स्वाभविक रूप से, एक दूसरे से श्रेष्ठ या हीन हो सकते हैं।
जातिवाद - अपनी जाति के आधार पर, अन्य लोगों के प्रति असहिष्णु होना ।
वैश्यावृत्ती - पैसे के बदले में, पराए शरीर का सौदा करना,, और अपनी वासना की भूख मिटाना ।
बहुविवाह - एक ही समय में एक से अधिक पति या पत्नी होना ।
देशद्रोह - अपने देश का पानी और नमक खाने के बाद भी,, राष्ट्र से गद्दारी करना,, देश द्रोह की श्रेणी में आता है।
अश्लीलता - अश्लील या अश्लील माने जाने वाले शब्द, चित्र या हाव भाव, इशारे, जो वर्जित हैं, उन्हे खुले आम प्रदर्शित करना,अश्लीलता की श्रेणी में आता है।
अतः इस आलेख में, पूर्ण मनोयोग और भाव से, टैबू को परिभाषित किया गया है,, एवं उदाहरण के द्वारा समझाने का भी, भरसक प्रयास किया गया है।