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ये आजाद विचार है
आखिर किसके खेत की मूली
जो सजा काटते खुद
या औरों को चढ़वाते सूली
आजाद विचारों से खतरा है
संकीर्ण सोच की बनी आड़ को
या आजाद विचारों को खतरा है
अंधभक्ति की बढ़ी बाढ़ से
कर बंद कलम से
आजाद विचारों की
आँधी को मोड ही लाए
दो शब्द सीख , दो शब्द सिखा
संकीर्ण दीवारें तोड़ ही आए
अब क्या ही कहना क्या ही करना
जो होना है हो ही जाएगा
बेड़ी में पड़े आजाद विचारों को
कल तोड़ सवेरा आयेगा
और गाएगा हर नर हो निडर
डर दर-दर ठोकर खाएगा
और पाएगा हर घर नव विचार
करते घूमे कलरव विचार
स्वच्छंद समाज में
ले उडारी, उड़ चले है
खोल कर पर, नई सोच के
आजादी से जुड़ चले है॥  

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